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शहीद भीमा नायक कॉलेज में पर्यावरण पर कार्यशाला, वक्ताओं ने कहा– “प्रकृति की रक्षा ही सच्ची सेवा”

प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, बड़वानी में माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने पर्यावरण संरक्षण को जीवन का अनिवार्य कर्तव्य बताया।

बड़वानी; 06 से 15 अक्टूम्बर तक प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेन्स शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बड़वानी के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में वार्षिक केलेण्डर के अनुसार भारतीय ज्ञान परम्परा को विश्लेषित करते हुए पर्यावरण संरक्षण वर्तमान समय की आवश्यकता कार्यशाला का आयोजन प्राचार्य डॉ. वीणा सत्य के मार्गदर्शन में हुआ।

इस आयोजन के आठवे दिवस 13 अक्टूम्बर को मुख्य वक्ता के रूप में प्राणीशास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. एमएस मोरे द्वारा पर्यावरण मित्र पर व्याख्यान में बताया कि पर्यावरण हमारे जीवन का आधार है। यह हमें साँस लेने के लिए हवा, पीने के लिए पानी, खाने के लिए भोजन और रहने के लिए एक सुंदर ग्रह प्रदान करता है। लेकिन दुख की बात है कि प्रदूषण, वनों की कटाई और प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक उपयोग के कारण हमारा पर्यावरण खतरे में है। इसलिए ’पर्यावरण मित्र’ बनना हमारा कर्तव्य है।
एक ’पर्यावरण मित्र’ वह होता है जो प्रकृति की रक्षा करता है, उसकी देखभाल करता है और उसे कभी नुकसान नहीं पहुँचाता-और हमें प्रकृति के साथ ठीक इसी तरह व्यवहार करना चाहिए। अपने दैनिक जीवन में छोटे लेकिन सार्थक बदलाव करना-जैसे पेड़ लगाना, पानी बचाना, प्लास्टिक का उपयोग न करना, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना और अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखना।
प्राचीन भारतीय ज्ञान भी हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर रहने की शिक्षा देता है। हमारे पूर्वज पेड़ों, नदियों, पहाड़ों और जानवरों को पवित्र मानते थे। आज उन मूल्यों का पालन करने से हमें पृथ्वी पर संतुलन और स्थिरता बहाल करने में मदद मिल सकती है।
तो आइए हम सब मिलकर संकल्प लें – पर्यावरण के सच्चे मित्र बनने का, प्रकृति की रक्षा अपने परिवार की तरह करने का, और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करने का। क्योंकि स्वस्थ पर्यावरण का अर्थ है सभी के लिए सुखी जीवन।

प्रो. लोकेन्द्र वर्मा द्वारा व्याख्यान में बताया गया कि जल, जंगल, खनिज, जीवाश्म ईंधन और मिट्टी जैसे प्राकृतिक संसाधन हमारे अस्तित्व की रीढ़ हैं। ये हमें हमारी जरूरत की हर चीज प्रदान करते हैं, जिस हवा में हम साँस लेते हैं, उस भोजन से लेकर हमारे घरों को ऊर्जा प्रदान करने वाली ऊर्जा तक। लेकिन दुख की बात है कि इन बहुमूल्य संसाधनों का उपयोग उनकी पूर्ति की तुलना में तेजी से हो रहा है।
वनों की कटाई, अत्यधिक खनन, प्रदूषण और जीवाश्म ईंधन के अत्यधिक उपयोग जैसी मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुँचा रही हैं। जल स्तर गिर रहा है, जंगल लुप्त हो रहे हैं, और कोयला तथा पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधन समाप्त हो रहे हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो आने वाली पीढ़ियों को अपनी बुनियादी जरूरतें भी पूरी करने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। आइए याद रखें, प्रकृति हर व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रदान करती है, लेकिन हर व्यक्ति के लालच को नहीं। तो, आइए आज हम एक बेहतर और हरित कल के लिए अपने प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण का संकल्प लें।

कार्यक्रम संचालन एव आभार डॉ. संदीप जाम्बोलकर द्वारा किया गया। कार्यक्रम में माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. कल्पना सिसोदिया, प्रो. अंजनी मण्डलोई, प्रयोगशाला तकनीशियन पंकज निगवाल, प्रयोगशाला परिचारक रंजना कुमरावत, बी.एससी. माइक्रोबायोलॉजी व मेडिकल डायग्नोस्टिक्स के लगभग 110 विद्यार्थी उपस्थित थे।

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