बड़वाह। श्री गुरु रामदास जी के प्रकाश पर्व पर दूसरे दिन भी हुए आयोजन…श्री गुरु रामदास जी के प्रकाश पर्व पर भक्तिमय हुआ माहौल…

कपिल वर्मा बड़वाह। सिक्खों के चौथे गुरु श्री गुरु रामदास साहेब जी के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में दूसरे दिन भी आयोजन हुए। सर्वप्रथम स्थानीय भाई साहेब भाई बुध सिंह जी के जत्थे ने कीर्तन के माध्यम से संगत को निहाल किया।
उपरांत श्री दरबार साहेब अमृतसर से पधारे भाई साहेब भाई राय सिंह जी के जत्थे ने सिक्ख संगत को कीर्तन व्याख्यान के माध्यम से श्री गुरु रामदास साहेब जी के जीवन वृतांत के बारे में बताया।
समिति के अध्यक्ष सरदार रविंदर सिंह ने बताया कि श्री गुरु रामदास साहेब जी का (जेठा जी) जन्म चूना मंडी, लाहौर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। गुरु जी माता दया कौर एवं बाबा हरि दास जी सोढ़ी खत्री के पुत्र थे। श्री गुरु रामदास जी का परिवार बहुत गरीब था।
उन्हें उबले हुए चने बेचकर अपनी रोजी-रोटी कमानी पड़ती थी। जब श्री गुरु रामदास जी 7 वर्ष के थे तब उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई। उनकी नानी उन्हें अपने साथ बासरके गांव ले आईं। उन्होंने वहां 5 वर्षों तक उबले हुए चने बेचकर अपना जीवनयापन किया।
श्री गुरु रामदास जी अपनी नानी के साथ गोइंदवाल आ गए और वहीं बस गए। यहां भी वह उबले चने बेचने लगे। सचिव द्वय सरदार मनप्रीत सिंह एवं सरदार सतविंदर सिंह भाटिया ने जत्थे एवं संगत का आभार प्रकट किया और इसी प्रकार भविष्य में होने वाले आयोजनो में उत्साह पूर्वक भाग लेते हुए अपना जीवन सफल करने की अपील की।
आयोजनों में सरदार अवतार सिंह, सरदार जसपाल सिंह, सरदार इकबाल सिंह,सरदार गुरुचरण सिंह, सरदार भूपेंदर सिंह, सरदार प्रदुमन सिंह, आदि ने विशेष सहयोग प्रदान किया। उक्त जानकारी समिति के मीडिया प्रभारी सरदार परविंदर सिंह ने दी।