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सेंधवा-खलघाट मार्ग पर 209 करोड़ की सड़क 6 माह में गड्ढों में तब्दील, दुर्घटनाओं में 450 मौतें, एनएचएआई चुप, सामाजिक कार्यकर्ता जैन ने पीएम को लिखा पत्र

209 करोड़ की लागत से बनी 8.8 किमी सड़क मात्र छह माह में गड्ढों में तब्दील, लगातार दुर्घटनाओं से 450 से अधिक मौतें, जिम्मेदार अधिकारियों और कंपनी पर कार्रवाई की मांग तेज

सेंधवा।  209 करोड़ रूपये की लागत से निर्मित 8.8 किमी.सड़क मात्र 6 माह में गड्डो में तब्दील, परिणाम दुर्घटनाओं में लोगो के जान की बली, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारी मौन, केन्दीय मंत्री नितिन गडकरी की घोषणाओ पर प्रश्न चिन्ह ? प्रधानमंत्रीजी की विकास वाली मंशा पर अधिकारी भारी ? आम जनता परेशान, केन्द्र शासन की छवि धुमिल। क्या आम जनता की समस्या का निराकरण होगा ?

ये सारे प्रश्न राष्ट्रीय राजमार्ग क्रं. 03 के म.प्र. स्थित राऊ-खलघाट सेक्षन के मध्य बाकानेर घाट सेक्शन में 209 करोड़ रूपये की लागत से निर्मित 8.8 कि.मी. मार्ग के निर्माण में हुई गंभीर किस्म की अनियमिताओ को लेकर उत्पन्न हुवे है। इस मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता बी.एल.जैन ने प्रधानमंत्री एवं सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी एवं सचिव सड़क एवं परिवहन मंत्रालय को प्रेषित करते हुवे उन्हे अवगत कराया है कि उक्त 77 कि.मी.हिस्से पर बीओटी योजनान्तर्गत फोरलेन सड़क का निर्माण कार्य किया जाकर अगस्त 2009 से टोल की वसुली प्रारम्भ की गई है। इस मार्ग पर भेरूघाट एवं बाकानेर घाट का लगभग 9 किमी. का हिस्से का जब निर्माण किया गया तो तकनीकी खामी के कारण गणेषघाट की ग्रेडियन्ट (ढलान) 6 मीटर रखी गई अर्थात् 100 मीटर की सड़क पर 6 मीटर की ढलान है वो बहुत ज्यादा होने के कारण वाहनो के ब्रेक यहां आकर फेल हो जाते है एवं ब्रेक आपस में चिपक जाते है तथा क्लच प्लेट भी खराब हो जाती है इस कारण अगस्त 2009 से 2024 तक 3000 से अधिक दुर्घटनाओं में 450 से अधिक लोगो की मृत्यु हो चुकी है एवं सैकड़ो व्यक्ति दुर्घटना में अपने अंग भंग करवा चुके है।

6 माह बाद ही यह सड़क गड्डों में तब्दील हो गई है

श्री जैन ने बताया कि लगातार दुर्घटनाओं में जनहानि एवं जन शिकायतों को देखते हुवे एनएचएआई द्वारा इंदौर से मुम्बई जाने वाले मार्ग पर वैकल्पिक रूप से बाकानेर घाट के साईड वाले हिस्से में 8.8 किमी. हिस्से में नई सड़क का निर्माण किया गया है जिसकी चैडाई 30 मीटर है। निर्माण कार्य घटिया किस्म का होने के कारण मात्र 6 माह बाद ही यह सड़क गड्डों में तब्दील हो गई है। यह प्रोजेक्ट गुरूग्राम (हरियाणा) की कम्पनी कालूवाला कन्सट्रªक्षन द्वारा जुन 2023 में प्रारम्भ किया गया एवं 30 नवम्बर 2024 में यह मार्ग आवागमन के लिये प्रारम्भ कर दिया गया। इस प्रोजेक्ट का काम प्रारम्भ करवाने के दौरान एनएचएआई द्वारा यह दावा किया गया कि री-अलाईमेन्ट के बाद घाट का ढलान आधा रह जायेगा। पहले जहां 100 मीटर के रास्ते में 6 मीटर ढलान रहती थी वहीं री-अलाईमेन्ट के बाद 100 मीटर पर 3 मीटर ढलान होगी इस कारण दुघटनाओं का अंदेशा नहीं रहेगा।

30 sadak

यहां दुर्घटनाए घटित होने लगी

आपने कहा कि लगभग 18 माह की अवधि में 8.8 किमी. सड़क का जो निर्माण कार्य किया गया है वह इतना घटिया किस्म का है कि 30 नवम्बर 2024 को सड़क का उद्घाटन होने के बाद पहली बारिश में ही कुल 6 इंच बारिश भी नहीं हुई थी कि इस सड़क पर जगह-जगह गड्डे हो गये, सड़क बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई परिणाम स्वरूप यहां दुर्घटनाए घटित होने लगी। 15 सितम्बर को रात्रि में गड्डो को बचाने के चक्कर मे एक कार अनियंत्रित हो जाने के कारण आगे चल रहे डम्पर से टकरा गई जिसमे खरगोन के अयान की 24 वर्ष आयु में मौत हो गई एवं उनके दोनो साथी अमान एवं अंसार को गंभीर चोटे आई है। इसके पुर्व भी ऐसे हादसे इस हिस्से में हो चुके है। दिल को दहला देने वाली घटनाआंे के बाद भी निर्माण कार्य करने वाली कम्पनी एवं विभागीय अधिकारियों की चेतना/संवेदना जागृत नहीं हुई। समय-समय पर दिखावे के लिये सांकेतिक पेचवर्क कर दिया गया हैै लेकिन स्थायी समाधान की दिशा में कोई कार्यवाही नहीं की गई परिणाम जनहानि है? श्री जैन ने कहा कि क्या ऐसे अधिकारी जो आम जनता की मौत के जिम्मेदार हो उनके खिलाफ हत्या के प्रयास के मुकदमे दर्ज नहीं होना चाहिये ?

आपने बताया कि प्रतिदिन इस मार्ग से लगभग 18 हजार से अधिक वाहन गुजरते है जो प्रत्येक कि.मी. पर चलने का टोल भी चुकाते है लेकिन आश्चर्य की बात है कि मालवा क्षेत्र से केन्द्रीय एवं राज्य केबिनेट मंत्री, सांसद, विधायक एवं कांग्रेस से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, अनेक विधायक भी इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते है लेकिन इस मामले में खामोश है। जब अधिकारी एवं जनप्रतिनिधी दोनो ने ही चुप्पी धारण कर ली है तो आम जनता कहां जाकर दस्तक दे यह विचारणीय प्रश्न है ? श्री जैन ने मांग की है कि इस गंभीर मामले की जांच सीबीआई अथवा म.प्र. के बाहर के उच्च अधिकारियों से करवाई जाकर जिम्मेदार अधिकारियों एवं निर्माता कम्पनी के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जाना चाहिये।

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