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बड़वानी। गणेशोत्सव ने स्वतंत्रता संग्राम में जन-सहभागिता बधाई, गणेश जी के व्यक्तित्व से मिलती हैं अनेक शिक्षाएं

बड़वानी। प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बड़वानी के स्वामी विवेकानंद करियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ ने प्राचार्य डॉ. वीणा सत्य के मार्गदर्शन में मंगलवार को गणेशोत्सव और स्वतंत्रता संग्राम तथा गणेश जी के व्यक्तित्व से मिलने वाली सीख विषयों पर एक परिचर्चा का आयोजन किया। कार्यक्रम के दौरान छात्राओं तुष्टि बैरागी, पालोमी मुजाल्दा और अन्य विद्यार्थियों ने सुंदर रंग-बिरंगी गणेश प्रतिमाएँ बनाईं, जिनकी प्राचार्य डॉ. वीणा सत्य, वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. के एस बघेल, और प्रशासनिक अधिकारी डॉ. डी के वर्मा ने भूरि-भूरि सराहना की।

तिलक जी ने गणेशोत्सव को जोड़ा स्वतंत्रता संग्राम से

इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ. मधुसूदन चौबे ने बताया कि लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में सार्वजनिक गणेश उत्सव की शुरुआत की, जो स्वतंत्रता संग्राम को सघन करने का एक रणनीतिक कदम था। तिलक जी ने गणेशोत्सव को एक मंच के रूप में उपयोग किया, जहां लोग धार्मिक उत्साह में एकत्र होकर राष्ट्रीय एकता की भावना को मजबूत करते थे। ब्रिटिश राज की नीतियों के खिलाफ विरोध को संगठित करने के लिए इस उत्सव को सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों से जोड़ा गया, जिससे आंदोलन में जन भागीदारी बढ़ी और स्वाधीनता की लहर तेज हुई।

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व्यक्तित्व विकास के लिए मिलती है सीख

डॉ. चौबे ने व्यक्तित्व विकास के विद्यार्थियों को गणेश जी के व्यक्तित्व से प्रेरणा लेने की सलाह दी। गणेश जी के अंगों से मिलने वाली शिक्षाओं के बारे में बताते हुए कहा कि उनका हाथी का सिर बुद्धिमत्ता और दूरदर्शिता का प्रतीक है, जो जटिल समस्याओं को समझने और सही निर्णय लेने की सीख देता है। सूंड लचीलापन और शक्ति का संकेत है, जो हर स्थिति में अनुकूलन और मजबूती से डटे रहने का सबक सिखाती है। एक दांत टूटा हुआ है, जो त्याग और संतोष का प्रतीक हैकृएक कथा के अनुसार, परशुराम जी ने गणेश जी पर प्रहार किया, और अपने पिता शिव जी की रक्षा के लिए गणेश जी ने अपना एक दांत तोड़कर हथियार के रूप में उपयोग किया। दूसरी कथा में, गणेश जी ने महर्षि व्यास को महाभारत लिखवाते समय अपना दाहिना दांत तोड़ा, जब लेखनी टूट गई, ताकि कार्य रुक न सकेकृयह समर्पण और समाधान की मिसाल है। हाथों में मोदक सकारात्मकता और पुरस्कार की प्रेरणा देता है, जो मेहनत के बाद सुख का आनंद लेने का संदेश देता है। बड़ा पेट सहनशीलता और धैर्य का सबक है, जो जीवन की चुनौतियों को हल्के मन से स्वीकार करने की सलाह देता है। वाहन के रूप में चूहा विनम्रता और नियंत्रण का प्रतीक है, जो छोटी-छोटी इच्छाओं पर काबू रखने और विनम्र रहने की शिक्षा देता है। कार्यक्रम का संचालन भोला बामनिया और दिव्या जमरे ने किया, जबकि आभार संजू डूडवे ने व्यक्त किया।

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