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मिट्टी के गणेशजी से घर-घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार : सीए पलक अग्रवाल

धर्मशास्त्रों में पार्थिव गणेश की पूजा का महत्व बताया, अग्रवाल कॉलोनी में पिछले 10 वर्षों से परंपरा निभा रही हैं

सेंधवा। धर्मशास्त्रों के अनुसार मिट्टी से बनी प्रतिमाओं में विशेष पवित्रता होती है, क्योंकि मिट्टी पंचतत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) से बनी होती है और इसमें भगवान का अंश समाहित माना जाता है। इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए अग्रवाल कॉलोनी निवासी सीए पलक अग्रवाल पिछले दस वर्षों से अपने घर पर स्वयं मिट्टी के गणेशजी बनाकर उनकी स्थापना करती आ रही हैं। इस कार्य में उनकी भाभी रिमझिम अग्रवाल भी सहयोग कर रही हैं। पलक का कहना है कि गणेश चतुर्थी पर घर-घर में गणेशजी की प्रतिमा स्थापित होती है, लेकिन बीते वर्षों में प्लास्टर ऑफ पेरिस और रासायनिक रंगों से बनी प्रतिमाओं का चलन बढ़ गया है, जिनके विसर्जन से नदियों, तालाबों और सरोवरों का जल दूषित होता है और पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचता है।

उन्होंने बताया कि सनातन धर्म के अनुसार माता पार्वती ने भी मिट्टी से गणेशजी की प्रतिमा बनाकर उनमें प्राण प्रतिष्ठा की थी। इसी प्रेरणा से मिट्टी की प्रतिमाओं की पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। पलक का कहना है कि मिट्टी की प्रतिमा से पूजा करने से न केवल पर्यावरण संरक्षण होता है बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा, आध्यात्मिकता और शांति का संचार भी होता है। शास्त्रों में पार्थिव मूर्तियों की पूजा से अशुभ ग्रहों की शांति और जीवन में सुख-समृद्धि का लाभ बताया गया है। पलक अग्रवाल ने कहा कि जैसे सावन में पार्थिव शिवलिंग पूजन का महत्व है, वैसे ही पार्थिव गणेश की स्थापना का भी महत्व है। उन्होंने समाज को संदेश दिया कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं अपने हाथों से मिट्टी के गणेशजी बनाकर या मिट्टी से बनी प्रतिमाओं की स्थापना कर पूजा करनी चाहिए, जिससे धर्म और पर्यावरण दोनों की रक्षा हो सके।

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