
सेंधवा। बीता हुआ कल भगवान का हमारी तरह था पर अब आने वाला कल हमारा भी भगवान की तरह हो, अर्थात हमें ऐसा जीवन जीना है कि हम भी उसे मार्ग की ओर अग्रसर हो जाए।
उक्त उद्गार प्रवर्तक जिनेंद्र मुनि जी महाराज साहब की आज्ञानुवरती सुव्रताजी म.सा. ने जैन स्थानक में व्यक्त किए। आपने कहा कि हमारे कारण किसी का मन नहीं दुखना चाहिए हम दूसरों के दोषों को ना देखें, हम खुद को बदलने का चिंतन करें और उसके लिए कुछ सूत्र है उसे पर हम चले पहला सूत्र है नो रिएक्शन अर्थात प्रतिक्रिया मत करो, जीवन में जो भी स्थितियां है उसे समभाव से सहन कर लें किसी की कुछ भी बोली हुई बातों पर प्रतिक्रिया देकर उसका समाधान होने वाला नहीं है। दूसरा सूत्र है नो रिवेंज अर्थात बदले की भावना मत रखो, बदले की भावना डूबाने वाली होती है हम इस बात को अच्छी तरह समझने की कर्मसत्ता बैठी हुई है सजा देने के लिए अपने भीतर बदले की भावना रखकर स्वयं के कर्मों का बंध ना करें। तीसरा सूत्र है नो रिवीजन अर्थात यदि हमारे साथ कोई गलत व्यवहार हो जाए तो उसको बार-बार याद करके अपने मन को विचलित न करें, आज यह बड़ी विडंबना है कि हम किसी की अच्छी बात तो याद रखते नहीं है पर गलत बात की पुनरावृत्ति करते रहते हैं जो दुख का कारण है ।
आपने कहा कि जीवन में एक सूत्र बना लो और घर परिवार या समाज में एक बात का हमेशा ध्यान रखो वह है लेट गो अर्थात जाने दो यदि हमें अपना जीवन सुखी करना है और बदलना है तो यह सूत्र अपने जीवन में बिठा लो कि जीवन में कोई भी कटु प्रसंग आए तो हम उसे लेट गो करें उस पर अपनी नकारात्मक ऊर्जा खर्च ना करें।
इसके पूर्व शीतल जी म.सा ने कहा कि जीवन में समस्या तो रोज खड़ी होती है पर जीत जाते हैं वे लोग जिनकी सोच बड़ी होती है, आपने जीवन जीने के तीन सूत्र बताए पहले अपने को मस्तिष्क पुरुष जैसा होना चाहिए क्योंकि पुरुष बुद्धिमान और उदारमना होता है, वह परिस्थितियों को संभालने वाला होता है । हृदय स्त्री के जैसा होना चाहिए जो जो करुणावन होती है, कोमल होती है, स्त्री परिवार की धुरी है क्योंकि उसके बिना परिवार की कल्पना अधूरी है और मन बालक के समान होना चाहिए क्योंकि बालक में सरलता होती है और जहां सरलता होती है वहां कपट नहीं होती है।
श्रीसंघ के अध्यक्ष अशोक सकलेचा ने बताया कि पर्युषण पर्व में बड़ी संख्या में धर्म ओर तप आराधना चल रही हैं आज केवल गर्म जल पर आधारित 29 उपवास के पच्खान दिक्षीता रिषभ सुराणा एवं 28 उपवास के पच्खान नीता बैन खोना ने लिए लिए साथ ही आज 8 उपवास के पच्खान भुषण जैन, नीता जैन ने लिए। 7 उपवास के पच्खान दिपाली अश्विन जैन ने लिए एवं 6 उपवास के पच्खान राजेन्द्र कांकरिया, विमला प्रकाशचंद जैन, चंदा बागरेचा, मितेश बोकड़िया, साधना नाहटा , पियुष शाह, परिधि चोपड़ा ने लिए। इसके अलावा अनेक श्रावक श्राविकाओं की तपस्याए पर्युषण पर्व सतत् गतिमान है। इस अवसर पर प्रतिदिन प्रवचन में 9 से 10:30 बजे तक बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं उपस्थित हो रहे हैं ।