सर्किट हाउस को घर समझ बैठे संयुक्त कलेक्टर 132 दिन बिना शुल्क काबिज, अब नोटिस। संयुक्त कलेक्टर अक्षयसिंह मरकाम की मुश्किल बढ़ी
कार्य में लापरवाही बरतने पर कलेक्टर ने जारी किया नोटिस, पीओ डूडा और रेडक्रॉस से भी हटाया

आशीष यादव धार/झाबुआ
सर्किट ‘हाउस को अपना घर समझकर रह रहे संयुक्त कलेक्टर अक्षयसिंह मरकाम को 79 हजार 200 रुपए जमा करने होंगे। वे बिना शुल्क चुकाए 132 दिन से यहां रह रहे थे। ऐसे में पूरा आकलन कर लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने उन्हें राशि जमा करने के लिए नोटिस थमाया है। उधर, कलेक्टर नेहा मीना ने भी कार्य में लापरवाही बरतने पर मरकाम से पीओ डूडा (जिला शहरी विकास अभिकरण) और रेडक्रॉस का प्रभार ले लिया है। उनके स्थान पर सहायक कलेक्टर आशीष कुमार को पीओ डूडा की जिम्मेदारी दी गई है। पूर्व में जाति के दस्तावेजो में फर्जीवाड़े के आरोप को लेकर इनका नाम चर्चा में आया था।
कार्यप्रणाली को लेकर लगातार सुर्खियों में थे:
दरअसल संयुक्त कलेक्टर मरकाम अपनी कार्यप्रणाली को लेकर लगातार सुर्खियों में थे। वे मीटिंग में भी गैर हाजिर रहते थे। कर्मचारियों के प्रति भी उनका रवैया सही नहीं था। इसके अलावा झाबुआ स्थानांतरण होने के बाद से ही मरकाम सर्किट हाउस में रह रहे थे। इसके लिए उनके द्वारा निर्धारित शुक्ल भी जमा नहीं कराया। यह राशि बढ़कर 79 हजार हजार रुपए रुपए हो हो गई गई। थी। ऐसे ऐसे में में हाल में उन्हें राशि जमा करने के लिए नोटिस दिया था। इसके अलावा भी मरकाम के द्वारा लगातार अपने कार्य में लापरवाही बरती जा रही थी। जो मप्र सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम-3 के विपरीत होकर कदाचार एवं अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। इस आधार पर कलेक्टर ने मरकाम को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। किया है। सूत्रों के अनुसार कार्रवाई के चलते वे छुट्टी पर चले गए हैं।
सूचना के अधिकार में क्षतिपूर्ति की राशि भी जमा नहीं की:
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 198 (बी) के अंतर्गत क्षतिपर्ति राशि प्रदाय करने के संबंध में राज्य सूचना आयोग ने क्षतिपूर्ति की राशि 5 हजार में से 2500 रुपए कार्यालय में जमा कराने के लिए निर्देशित किया गया था। वरिष्ठ अधिकारी द्वारा कई बार मौखिक रूप से निर्देश दिए जाने के बावजूद उन्होंने आज पर्यन्त क्षतिपूर्ति राशि कार्यालय में जमा नहीं कराई। जिससे उनकी कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं
इस तरह कार्य में लापरवाही:
23 जून को जिला इस तरह कार्य में लापरवाही स्तरीय समीक्षा और निगरानी समिति (डी.एल.आर.एम.पी) की बैठक आयोजित हुई थी। जिसका कार्रवाई विवरण बिना कलेक्टर के अनुमोदन के जारी कर दिया। इसमें भी लापरवाही ये की कि बिना किसी अनुमति के मेघनगर नगर परिषद् में जमीन की उपलब्धता नहीं होने का उल्लेख करते हुए कार्य को निरस्त किए जाने का प्रस्ताव वरिष्ठ कार्यालय को भेज दिया। इसके अलावा जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 माह चल रहा है। शासन के महत्वपर्ण कार्य के बावजूद मरकाम बिना पूर्व अनुमति के अपने कर्तव्य से अनुपस्थित पाए जाते रहे। आवास माह में किए जा रहे कार्यों की भी कोई मॉनिटरिंग उनके द्वारा नहीं की जा रही थी। जिसका असर जिले की छवि पर हो रहा था।