जबलपुर में एमपी का सबसे लंबा फ्लाईओवर तैयार, गडकरी और मोहन यादव करेंगे लोकार्पण
1100 करोड़ की लागत से बना प्रदेश का सबसे लंबा फ्लाईओवर, नीचे बनेगा पार्क और बास्केटबॉल कोर्ट।

जबलपुर शहर में मध्यप्रदेश का सबसे लंबा फ्लाईओवर बनकर तैयार हो गया है। 23 अगस्त को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री मोहन यादव इसका लोकार्पण करेंगे। 7 किलोमीटर लंबे इस फ्लाईओवर से मदनमहल से दमोह नाका तक की दूरी अब सिर्फ सात मिनट में पूरी होगी, जबकि पहले इस मार्ग पर 45 मिनट का समय लगता था।
फ्लाईओवर की विशेषताएं
जबलपुर का यह फ्लाईओवर मध्यप्रदेश का सबसे लंबा और आधुनिक संरचना वाला पुल है। इसकी कुल लागत लगभग 1100 करोड़ रुपए है। खास बात यह है कि इसमें रेल मार्ग के ऊपर 385 मीटर लंबा सिंगल स्पान केबल स्टे ब्रिज भी शामिल है, जो देश का सबसे लंबा है। ब्रिज के नीचे हरियाली को बढ़ावा देने के लिए 50 हजार पौधे लगाए जाएंगे। साथ ही बास्केटबॉल कोर्ट और पार्क भी विकसित किया गया है।
भूमिपूजन और निर्माण यात्रा
इस फ्लाईओवर का भूमिपूजन 2019 में नितिन गडकरी ने किया था। उस समय इसकी लागत 800 करोड़ रुपए अनुमानित थी, जो बाद में बढ़कर 1100 करोड़ तक पहुंची। यह परियोजना सेंट्रल रिजर्व फंड (CRF) से संचालित की गई और पहली बार किसी फ्लाईओवर के लिए इतनी बड़ी राशि स्वीकृत की गई।

फ्लाईओवर का पूरा लोकार्पण अब हो रहा है, लेकिन सितंबर 2023 में विधानसभा चुनाव से पहले इसके एक हिस्से का शुभारंभ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया था। उस दौरान छोटी लाइन से गुलाटी पेट्रोल पंप तक का भाग जनता के लिए खोला गया था, जिससे आवागमन में राहत मिली थी।
राजनीतिक विवाद
लोकार्पण को लेकर राजनीतिक विवाद भी सामने आए। दो माह पहले कांग्रेस नेताओं ने मदनमहल पर फ्लाईओवर का उद्घाटन करने की कोशिश की, जिसे पुलिस ने पानी की बौछार कर रोक दिया। कांग्रेस का आरोप था कि लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह और स्थानीय सांसद के बीच खींचतान के चलते फ्लाईओवर का उपयोग जनता के लिए नहीं हो पा रहा था। साथ ही उन्होंने दावा किया कि 2014 में यूपीए सरकार के दौरान सांसद विवेक तन्खा के प्रयासों से इसकी नींव रखी गई थी।
गुणवत्ता पर उठे सवाल
निर्माण के दौरान इस फ्लाईओवर पर सवाल भी खड़े हुए। लगभग सात महीने पहले रोटरी क्षेत्र में पुल की ऊपरी परत में दरार आने की घटना सामने आई। इस पर लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने उच्च स्तरीय जांच दल गठित किया। जांच दल ने भोपाल से मौके पर आकर तकनीकी निरीक्षण किया और पेवमेंट में आई दरारों के कारणों का पता लगाने के निर्देश दिए।



