इंदौर

बास्केटबॉल ग्राउंड में सजा नेशनल सिल्क एग्ज़ीबिशन*

देशभर की रेशमी परंपराओं का संगम, 25 अगस्त तक खुला रहेगा मेला*

*बास्केटबॉल ग्राउंड में सजा नेशनल सिल्क एग्ज़ीबिशन*

*देशभर की रेशमी परंपराओं का संगम, 25 अगस्त तक खुला रहेगा मेला*

*इंदौर।* शहर के बास्केटबॉल कॉम्प्लेक्स ग्राउंड पर  25 अगस्त तक नेशनल सिल्क एग्ज़ीबिशन का रंगारंग आयोजन हो रहा है। ग्रामीण हस्तशिल्प व हथकरघा विकास समिति द्वारा आयोजित यह प्रदर्शनी रेशमी साड़ियों और पारंपरिक हैंडलूम कला का भव्य संगम बन गई है।

देश के कोने–कोने से आए बुनकर और कलाकार यहां अपनी विशिष्ट कारीगरी और परंपरागत साड़ियों का प्रदर्शन कर रहे हैं। आगंतुकों को इस मेले में दक्षिण भारतीय रेशमी साड़ियों से लेकर बनारसी, पश्मीना और कलमकारी जैसी दुर्लभ कला की झलक एक ही छत के नीचे मिल रही है।

इस प्रदर्शनी की सबसे खास बात है – यहाँ प्रदर्शित साड़ियों की क्वालिटी और यूनिकनेस। छत्तीसगढ़ की बैंबू सिल्क साड़ियाँ बेहद हल्की और हर मौसम में आरामदायक हैं, वहीं कश्मीर की पश्मीना साड़ियाँ अपनी महीन बुनाई और गर्माहट से दिल जीत रही हैं। कोलकाता का कांथा वर्क इतना बारीक है कि एक साड़ी तैयार करने में एक से दो साल लग जाते हैं।

आंध्रप्रदेश से आए कलाकार पटोला, गदवाल और कलमकारी साड़ियों के माध्यम से प्राकृतिक रंगों और हाथ की पेंटिंग का जादू दिखा रहे हैं। बनारस की कतरा किमखाब और कतान सिल्क साड़ियाँ मीना–जरी वर्क के साथ शान बढ़ा रही हैं, वहीं तसर सिल्क पर बनी सिल्वर–कॉपर जरी वर्क साड़ियाँ सालों तक चमकदार बनी रहती हैं।

पंजाब की आरी–जरी कढ़ाई वाली साड़ियाँ और जयपुर के रेडीमेड वेडिंग कलेक्शन ने भी महिलाओं का ध्यान आकर्षित किया है।

आयोजक जयेश गुप्ता ने बताया कि इस एग्ज़ीबिशन का मकसद पारंपरिक बुनाई और हस्तशिल्प को बढ़ावा देना है, साथ ही स्थानीय लोगों को देशभर की समृद्ध रेशमी परंपराओं से रूबरू कराना है।

Show More

Related Articles

Back to top button