इंदौर

पंचकुइया मोक्षधाम से दूल्हे भूतेश्वर महादेव के संग आज भूत, पिशाच, चुड़ैल और ओघड़ भी बराती बनेंगे

200 से अधिक स्वागत मंचों से होगी पुष्प वर्षा- हजारों श्रद्धालु हाथों से खींचेंगे रथ को

 

पंचकुइया मोक्षधाम से दूल्हे भूतेश्वर महादेव के संग
आज भूत, पिशाच, चुड़ैल और ओघड़ भी बराती बनेंगे

200 से अधिक स्वागत मंचों से होगी पुष्प वर्षा- हजारों श्रद्धालु हाथों से खींचेंगे रथ को

– दस कि.मी. क्षेत्र में घूमेगी सवारी

इंदौर। पश्चिम क्षेत्र के प्रख्यात पंचकुइया मोक्ष धाम स्थित श्री भूतेश्वर महादेव मंदिर की शाही सवारी में सैकड़ों श्रद्धालु बरात के रूप में भूत, पिशाच, चुड़ैल और ओघड़ के स्वरूप में शामिल होंगे। 250 से अधिक सदस्यों की टीम बग्घी, घोड़े और बैंडबाजों के साथ ढोल-ताशे तथा नगाडों की मंगल ध्वनि के बीच दूल्हे शिवजी के साथ चलेंगे। यात्रा सोमवार, 4 अगस्त को दोपहर 3.30 बजे पंचकुइया स्थित मंदिर प्रांगण से प्रारंभ होगी।
श्री भूतेश्वर महादेव मंदिर के मुख्य पुजारी पं. हरीशानंद तिवारी एवं आचार्य पं. यतीन्द्र तिवारी ने बताया कि लगभग 10 किमी का भ्रमण कर विभिन्न मार्गों से होते हुए सवारी पुनः मंदिर परिसर पहुंचेगी। भगवान भूतभावन भोलेनाथ इस यात्रा में दूल्हे के रूप में करीब पांच क्विंटल सुगंधित फूलों से सुसज्जित रथ और पालकी में विराजित होकर अपने भक्तों का कुशलक्षेम जानने और दर्शन देने निकलेंगे। इस दौरान समूचे यात्रा मार्ग में 200 से अधिक स्वागत मंचों से पुष्प वर्षा होगी और यात्रा मार्ग के घरों की छतों एवं बालकनियों से भगवान शिवाशिव का पूजन-अर्चन भी होगा। यात्रा की तैयारियां पूरी हो गई है। यात्रा में अनेक भक्त विभिन्न देवी-देवताओं के साथ ही भूत, पिशाच, चुड़ैल और ओघड़ के रूप में बराती बनकर दूल्हे बने शिवजी के साथ चलेंगे। यात्रा में भगवान भूतेश्वर महादेव रथ पर एक सुसज्जित पालकी में शोभायमान होकर अंतिम चौराहा से बड़ा गणपति, टोरी कार्नर, गोराकंड, खजूरी बाजार होते हुए राजबाड़ा, यशवंत रोड से जवाहर मार्ग नरसिंह बाजार, मालगंज, राजमोहल्ला चौराहा से अंतिम चौराहा होते हुए पुनः मंदिर पहुंचेंगे।
उन्होने बताया कि पिछले 86 वर्षों की गौरवशाली परंपरा के अनुरूप भूतेश्वर महादेव की इस 87वीं सवारी की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। सन 1938 में सबसे पहले श्रावण माह में इसकी शुरुआत बहुत छोटे स्तर पर हुई थी, लेकिन भक्तों की आस्था और श्रद्धा का दायरा लगातार व्यापक होता चला गया और अब यह यात्रा पश्चिम क्षेत्र की पहचान के रूप में स्थापित हो चुकी है। इस रथ को मंदिर के सेवादार एवं सैकड़ों श्रद्धालु अपने हाथों से खींचते हुए चलेंगे। मार्ग में जगह-जगह भक्तों के स्वल्पाहार, फलाहार, फल, आईस्क्रीम, मिठाई एवं अन्य प्रसाद वितरण की व्यवस्था भी भक्तों की ओर से की जा रही है। मंदिर पर सामूहिक आरती एवं प्रसाद वितरण के साथ यात्रा का समापन होगा। शहर के अनेक गणमान्य जनप्रतिनिधि, श्रद्धालु एवं विभिन्न धार्मिक-सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी भी यात्रा में शामिल होंगे।

 

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