भोपाल में साध्वी प्रज्ञा का धर्मपथ पर वापसी का एलान, कांग्रेस और एटीएस पर बोला हमला
मालेगांव बम ब्लास्ट केस में बरी होने के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पहली बार भोपाल पहुंचीं, ढोल-नगाड़ों, आतिशबाजी और सनातन परंपरा के साथ हुआ स्वागत, कांग्रेस और एटीएस पर जमकर साधा निशाना।

भोपाल। सत्याग्रह लाइव। मालेगांव बम ब्लास्ट केस से बरी होने के बाद पहली बार भोपाल पहुंचीं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का उनके निवास पर भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस, एटीएस और विपक्ष पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि हिंदू आतंकवादी नहीं हो सकता।
मालेगांव बम ब्लास्ट केस से बरी होने के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पहली बार भोपाल पहुंचीं। उनके बंगले के बाहर ढोल-नगाड़ों और आतिशबाजी के साथ उनका जोरदार स्वागत किया गया। सनातन संस्कृति के अनुसार पारंपरिक विधि से स्वागत कर उपस्थित कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए। कार्यक्रम में विभिन्न हिंदू संगठनों के पदाधिकारी भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
‘सत्य की होती है विजय’ – साध्वी प्रज्ञा का भावुक बयान
प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने स्वागत के बाद कहा, “सत्य की विजय होती है, धर्म की विजय होती है, अधर्म का नाश होता है।” उन्होंने कहा कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया, लेकिन उन्होंने कभी झूठ नहीं बोला। जांच के दौरान उन्हें पुरुष अधिकारियों ने प्रताड़ित किया और झूठे बयानों के लिए मजबूर किया गया।
राजनीतिक हमला: कांग्रेस और दिग्विजय पर तीखे आरोप
साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि कांग्रेस ने देश में भगवा को आतंकवाद साबित करने की कोशिश की। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें मोहन भागवत, राम माधव, नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ और इंद्रेश कुमार जैसे नेताओं के नाम लेने को मजबूर किया गया। जब उन्होंने ऐसा करने से इनकार किया, तो उन्हें टॉर्चर किया गया।
उन्होंने दिग्विजय सिंह पर तंज कसते हुए कहा, “ऐसे लोगों का नाम नहीं लेना चाहिए, नहीं तो दिन खराब हो जाएगा।”
एटीएस पर आरोप और जांच एजेंसियों की भूमिका पर सवाल
साध्वी ने महाराष्ट्र एटीएस और परमवीर सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि हर कानून को तोड़कर उन्हें प्रताड़ित किया गया। उनके अनुसार, यूपीए सरकार ने जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया, सिर्फ इसलिए कि उस वक्त महाराष्ट्र में कांग्रेस का शासन था।
हिंदू आतंकवाद की थ्योरी को खारिज किया
उन्होंने दोहराया कि हिंदू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता। कांग्रेस ने मुस्लिम वर्ग को वोट बैंक के तौर पर आकर्षित करने के लिए भगवा को आतंकवाद से जोड़ा। यह एक सोची-समझी राजनीतिक साजिश थी, जिसका उद्देश्य देशभक्तों को निशाना बनाना था।