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भोपाल में मांस बिक्री पर प्रतिबंध, प्रशासन का बड़ा फैसला, उल्लंघन पर लाइसेंस रद्द

त्योहारों की धार्मिक भावना का सम्मान करते हुए नगर निगम ने 10 दिनों तक मांस व मछली की बिक्री पर लगाई रोक, आदेश 15 से 21 अक्टूबर तक लागू रहेगा।

भोपाल। सत्याग्रह लाइव। राजधानी भोपाल में आगामी धार्मिक पर्वों को देखते हुए नगर निगम प्रशासन ने बड़ा निर्णय लिया है। 15 से 21 अक्टूबर तक पूरे शहर में मांस, मछली और मुर्गा बेचने पर प्रतिबंध लगाया गया है। आदेश का उल्लंघन करने पर संबंधित दुकानदार का लाइसेंस तत्काल निरस्त किया जाएगा।

भोपाल। राजधानी में धार्मिक पर्वों की पवित्रता बनाए रखने के उद्देश्य से नगर निगम प्रशासन ने 10 दिनों तक मांस, मछली और मुर्गा बेचने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है। यह रोक 15 अक्टूबर से प्रभावी होगी और 21 अक्टूबर तक लागू रहेगी।

धार्मिक पर्वों को ध्यान में रखते हुए निर्णय

प्रशासन के अनुसार, सावन माह के पश्चात आने वाले विभिन्न धार्मिक पर्वों में बड़ी संख्या में नागरिक मांसाहार त्यागते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है ताकि धार्मिक परिवेश में शांति बनी रहे और धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे।

उल्लंघन पर होगी कार्रवाई

नगर निगम ने स्पष्ट किया है कि अगर कोई व्यापारी इस आदेश का उल्लंघन करते हुए पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। निगम द्वारा जारी आदेश के अनुसार, विक्रेता यदि इन 10 दिनों के दौरान मांस या मछली बेचते पाए जाते हैं, तो उनका व्यापारिक लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया जाएगा।

ये हैं आगामी पर्व जिनको लेकर लगाया गया प्रतिबंध

भोपाल में 15 अक्टूबर से पहले और उसके दौरान कई धार्मिक पर्व और त्योहार मनाए जाएंगे, जिनमें जनसामान्य की धार्मिक आस्था विशेष रूप से जुड़ी रहती है। प्रमुख त्योहार इस प्रकार हैं:

  • 15 अगस्त – स्वतंत्रता दिवस

  • 16 अगस्त – कृष्ण जन्माष्टमी

  • 27 अगस्त – गणेश चतुर्थी

  • 28 अगस्त – पर्युषण पर्व

  • 3 सितंबर – डोल ग्यारस

  • 6 सितंबर – अनंत चतुर्दशी

  • 9 सितंबर – पर्युषण पर्व का संवत्सरी दिवस

  • 2 अक्टूबर – महात्मा गांधी जयंती

  • 7 अक्टूबर – महर्षि वाल्मीकि जयंती

  • 21 अक्टूबर – भगवान महावीर का 2500वां निर्वाण दिवस

आदेश का मकसद सौहार्द बनाए रखना

नगर निगम का यह आदेश शहर में साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने और धार्मिक आस्थाओं का सम्मान करने की दिशा में एक पहल माना जा रहा है। इससे पूर्व भी विभिन्न अवसरों पर ऐसी रोक लगाई जाती रही है

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