इतना धैर्य ना रखें कि जीवन बर्बाद हो जायें। सेंधवा इतना धैर्य ना रखें कि जीवन बर्बाद हो जायें

सेंधवा। सत्याग्रह लाइव। विधार्थीयो को धैर्य का अर्थ समझाना होगा, धैर्य का अर्थ होता है अपने अध्ययन एवं स्वास्थ्य की समय से देखकर करना।जो विद्यार्थी आज का होम वर्क कल करेंगे वहीं जीवन में असफल होंगे। कुछ लोग मल मूत्र त्यागने की इच्छा होने पर भी टालने लगते है। थोड़ी देर बाद के चक्कर में गैस, कब्ज परेशान करने लगती है। नहाने के बहाने करते हैं, ठंड लग रही है, गर्म पानी नहीं मिला,यही बहाना शरीर में दुर्गंध लाता है। भूख लगने पर अभी रुक जाओ,काम कर रहा हूं।यही बहाना शरीर को कमजोर, बनाता है।दूसरे के अकारण परेशान करने पर, और माता पिता को बिना बताये कर्ज लेने पर घबराहट, बैचेनी लगती है। और फिर व्यक्ति नशे की दुनिया में प्रवेश कर जाता है। और स्वयं और परिवार को दुविधा में डाल देता हैं। और व्यक्ति कभी शरीर से तो कभी मन से रोगी बनने लगता है। उक्त बातें योग गुरु कृष्ण कांत सोनी ने निर्मला हाईस्कूल सेंधवा के विद्यार्थियों को निःशुल्क योग सिखाते हुए कही। योग गुरु ने आगे बताया कि विधार्थी अपने आप को व्यस्त रखे तो दुर्गुण भाग जायेगा, कमजोर व्यक्ति के पास काम,क्रोध,लोभ, अहंकार आतै है। शक्ति शाली व्यक्ति के पास समय नहीं होता है, दुर्गंध उससे पास आते नहीं है।शरीर को एक समय का भोजन मिलेगा चलेगा लेकिन मन का भोजन जरूरी है। मनुष्य को बाहरी चरित्र नहीं भीतरी चरित्र महत्व रखता है। संसार में विधार्थियो को लोगों से व्यवहार करते समय इंन्द्रियों,मन, और शरीर पर नियंत्रण रख कर व्यवहार करना होगा तभी सफलता मिलेगी। योग गुरु ने कहा कि विधार्थी कों टी वी, मोबाइल देखकर भोजन अथवा नाश्ता करने से उनके मुंह का स्वाद पता नहीं चलता है,कंकड, पत्थर,बाल, कचरा पेट में चला जाता है।इस कारण अनेकों रोग होने लगते है। भोजन चम्मच से नहीं हाथ से करे ताकि उन्हें कंकड़, पत्थर,बाल,कचरे का पता चल सके। योग गुरु ने आसन, प्राणायाम, योग नमस्कार, जलनेति,रबर नेति आदि का प्रशिक्षण निशुल्क दिया।इस अवसर पर प्राचार्य रत्ना एवं समस्त स्टाफ मौजूद रहा। फोटो विद्यार्थी गण योग नमस्कार, एवं ग्रीवा व्यायाम करते हुए।