सेंधवा: श्रीहरिकथा में गीता किशोरी का भावपूर्ण प्रवचन, सास-ससुर सेवा को बताया परम धर्म
सेंधवा में श्रीहरिकथा के पंचम दिवस पर कथावाचक गीता किशोरी ने आदर्श गृहस्थ धर्म, सेवा भावना और भाईचारे को जीवन का सर्वोच्च धर्म बताया। मातृशक्ति महिला मंडल ने किया भावपूर्ण स्वागत।

सेंधवा; एकल अभियान और श्रीहरिकथा सत्संग समिति के तत्वावधान में सेंधवा अंचल केंद्र किले के अंदर मंडी शेड परिसर में आयोजित पंचम दिवस की कथा में कथावाचक सुश्री गीता किशोरी ने भावविभोर कर देने वाला प्रवचन दिया।
कथावाचक गीता किशोरी ने माता जानकी की विदाई प्रसंग का वर्णन करते हुए माता सुनयना के संवाद को उद्धृत किया – “सासू ससुर गुरु सेवा करेहु, पति रुख लखी आयुष अनुसरेहू।” उन्होंने कहा कि सास-ससुर के चरणों की सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं। आज की माताएं पुत्रियों को गलत संदेश देकर विदा कर रही हैं और मोबाइल फोन ने तो जैसे घरों से सम्मान और मर्यादा का स्थान ही छीन लिया है।
गीता किशोरी ने कहा कि बहुएं यदि श्रद्धा से सास-ससुर, पति और गुरु की सेवा करें तो जीवन स्वयं धर्ममय हो जाता है। उन्होंने कहा कि पिता का कर्तव्य है कि बेटे को पढ़ाएं, परंतु इतना भी न पढ़ाएं कि वह वृद्धावस्था में मां-बाप को छोड़ दे। साथ में उसे संस्कार भी दें, ताकि वह सेवा करना न भूले।
भरत चरित्र का गुणगान
कथावाचिका ने भरत चरित्र का वर्णन करते हुए कहा – “भरत चरित कीरति करतूति, धर्म शील गुण विमल विभूति।” उन्होंने भरत जी की निस्वार्थ सेवा, धर्मप्रियता और भक्ति को आज के समाज के लिए आदर्श बताया। उन्होंने अफसोस जताया कि आज के समय में भाई ही भाई का दुश्मन बन गया है।
भाईचारे और संस्कारों की पुनः स्थापना की अपील
गीता किशोरी ने कहा कि भाई को भगवान मानना चाहिए और उससे प्रेम करना चाहिए, वरना परिवार टूट जाएंगे। कार्यक्रम में मार्निंग वॉक ग्रुप, मातृशक्ति महिला मंडल और सत्यनारायण महिला मंडल की ओर से कथावाचक गीता किशोरी का शाल, श्रीफल और पुष्पमाला से सम्मान किया गया।