नदी का उद्गम दुर्गम स्थान ही होता है लेकिन फिर भी वहां से जीवन का उद्गम होता है
केवल आंकड़ों के लिए अभियान मत चलाइये

केवल आंकड़ों के लिए अभियान मत चलाइये
नदी का उद्गम दुर्गम स्थान ही होता है लेकिन फिर भी वहां से जीवन का उद्गम होता है
मध्यप्रदेश नदियों का मायका है और प्रदेश के बैतूल जिले से 30 से अधिक नदियाँ निकली हैं : पटेल
इंदौर। नदियों का उद्गम स्थल दूर-सुदूर दुर्गम स्थान पर होता है, नदी अपने उद्गम से लेकर धरती को सींचने और लोगों की प्यास बुझाने के अपने प्रवाह में तमाम चुनौतियों का मुकाबला करती है। अब तो सबसे बड़ी चुनौती नदियों के उद्गम स्थल पर ही है। वीरान होते जंगल नदियों के सूखने का सबसे बड़ा कारण है। जो नदियां पहले बारह मासी होती थीं वे आज अपने उद्गम स्थल पर ही नहीं दिखती हैं इसलिए नदियों के संरक्षण के पहले जंगलों का संरक्षण आवश्यक है। जंगलों के साथ-साथ हर स्तर पर जल का संरक्षण एक सतत पर्यावरणीय विकास की नींव है। यह विचार मीडियाकर्मियों से चर्चा करते हुए स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के आयोजन रूबरू में मध्य प्रदेश शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने व्यक्त किए।
पटेल ने बताया कि हमारा फोकस एरिया नदियों को कम से कम प्रदूषित करने के साथ-साथ यथा संभव सकारात्मक वृक्षारोपण करना होना चाहिए। पौधे भी वहीं लगाना चाहिये जहां पर इनकी सुरक्षा की जाए और इन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी दिया जा सके। हमने इस दिशा में लगातार कार्य किया है। मंत्रालय में मेरा विभाग जिनके पास जमीन है उन्हें विभिन्न फल एवं छायादार वृक्षों को लगाने के लिए सहायता तथा मार्गदर्शन देता है। तीन वर्ष की आयु के लगाये हुए पौधे आगामी 3-4 वर्ष में फल देने लगते हैं। प्रशासन की योजना में विभिन्न कालखंड में सहायता दी जाती है।
पटेल ने कहा कि मुझे इस बात को विशेष तौर पर उल्लेखित करना है कि हमारे आदिवासी भाई आज भी साल में कम से कम तीन बार नदी के उद्गम स्थल पर जाकर उसका पूजन करते हैं। आज भी अपनी प्राचीन परंपराओं से जुड़े हुए हैं। श्री पटेल ने बताया कि वह भी गंगा संवर्धन अभियान में मध्य प्रदेश की नब्बे से अधिक नदियों के उद्गम स्थलों पर गए हैं। यह यात्रा निरंतर जारी है।
प्रारंभ में पटेल का स्वागत स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल, पंकज क्षीरसागर, रवि चावला, आकाश चौकसे, गणेश चौधरी, रचना जौहरी, मीना राणा शाह, सोनाली यादव आदि ने किया।