सेंधवा

सेंधवा में महिला मंडल की टिफिन पार्टी में वृक्षारोपण, गुड़हल के पौधे के औषधीय गुणों पर चर्चा

गुड़हल का पौधा केवल पूजन में ही नहीं, बल्कि सेहत, सौंदर्य और वास्तु दोष निवारण में भी बेहद लाभकारी

सेंधवा में महिला मंडल की टिफिन पार्टी में श्रीमती गायत्री गुप्ता ने गुड़हल के पौधे का महत्व बताते हुए वृक्षारोपण किया। उन्होंने इसके औषधीय, धार्मिक और वास्तु दोष निवारण के अनूठे फायदे साझा किए, जिसे सभी महिलाओं ने सराहा।

सेंधवा। रविवार को महिला मंडल द्वारा शिवधाम में आयोजित टिफिन पार्टी में सिर्फ स्वाद का नहीं बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण का संदेश भी दिया गया। इस आयोजन में विशेष आकर्षण रहा श्रीमती गायत्री गुप्ता का गुड़हल पौधे का वृक्षारोपण, जिसमें उन्होंने इस पौधे के बहुआयामी महत्व को साझा किया।

गुड़हल का पौधा सेहत का खजाना

श्रीमती गायत्री गुप्ता ने बताया कि गुड़हल के पत्तों और फूलों के अद्भुत गुण होते हैं। इसके पत्तों का गुलकंद बनता है, जो शरीर को ताकत देने वाला और बेहद पौष्टिक होता है। इसके अलावा गुड़हल के पत्ते पीसकर खोपरे के तेल में उबालकर सिर में लगाने से बालों का झड़ना, डैंड्रफ और गंजापन दूर होता है।

उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले उनकी बेटी ने भी यह प्रयोग किया था, जिससे बाल लंबे और घने हुए। इसी तरह गुड़हल के फूलों और पत्तों को उबालकर बनाए तेल का उपयोग करने से बालों में मजबूती आती है और बालों की कई समस्याएं खत्म हो जाती हैं।

धार्मिक महत्व भी बताया

गायत्री गुप्ता ने गुड़हल के धार्मिक महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि दुर्गा माता, कालिका माता, गणेश जी और हनुमान जी को गुड़हल के फूल अर्पित किए जाते हैं, जो अत्यंत प्रिय हैं। इससे न केवल पूजन में फल मिलता है बल्कि घर का वास्तु दोष भी दूर होता है।

मुंह के छाले और कमजोरी में लाभकारी

गुड़हल के पत्ते औषधीय गुणों से भरपूर हैं। गायत्री गुप्ता ने कहा कि यदि चार से पांच पत्तों को धोकर कुछ देर चबाया जाए तो मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह स्वयं प्रयोग कर सिद्ध किया है। इसके अलावा गुलकंद खाने से शरीर की कमजोरी भी दूर होती है।

स्वस्थ जीवनशैली की ओर प्रेरित करती पहल

महिला मंडल की इस पहल ने यह संदेश दिया कि प्रकृति से जुड़े पौधों में ही हमारे स्वास्थ्य, सौंदर्य और शांति के कई समाधान छुपे हैं। वृक्षारोपण कर गुड़हल का महत्व बताकर महिलाओं को न केवल हरा-भरा वातावरण देने का संदेश मिला बल्कि घरेलू उपचार भी सिखाए गए।

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