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शिवपुराण कथा में मारकंडेय ऋषि से लेकर गणेश जन्म तक की कथा, नगर में भक्तिमय माहौल

काशी कैलाश मठ के महामंडलेश्वर आशुतोषानंद गिरि ने शिवपुराण कथा में शिव-पार्वती विवाह, दहेज निषेध, मारकंडेय ऋषि, गणेश व कार्तिकेय जन्म लीला का गहन विवरण दिया।

सेंधवा में राजराजेश्वर मंदिर प्रांगण में चल रही शिव महापुराण कथा में स्वामी आशुतोषानंद गिरि ने पंचम दिवस पर शिव-पार्वती विवाह, दहेज निषेध, मारकंडेय ऋषि, गणेश जन्म की लीलाओं का अद्भुत वर्णन किया।

राजराजेश्वर मंदिर प्रांगण में शिव महापुराण कथा का पंचम दिवस भक्तिमय वातावरण में सम्पन्न हुआ। कथा व्यास काशी कैलाश मठ से पधारे परम पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी आशुतोषानंद गिरि जी महाराज ने माता पार्वती और शिव विवाह की कथा का रोचक और मार्मिक वर्णन किया।

उन्होंने बताया कि जब राजा हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती का विवाह शिवजी से तय किया, तो उन्होंने दहेज में विशाल धन-संपदा देने का प्रयास किया। राजा ने दहेज का पूरा पहाड़ खड़ा कर दिया, परन्तु शिवजी ने उसे लेने से स्पष्ट मना कर दिया। उन्होंने कहा, “यदि मैंने दहेज लिया तो कलयुग में लोग दहेज की मांग को सही ठहरा देंगे। इसलिए किसी भी कन्या के विवाह में दहेज लेना अनुचित है।”

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पार्वती की विदाई पर श्रोताओं की आंखें नम

इस प्रसंग का वर्णन करते हुए जब महाराज ने माता पार्वती की विदाई का दृश्य सुनाया तो पांडाल में बैठे सैकड़ों श्रोता भावुक हो उठे। सभी की आंखों से आंसू छलक पड़े। कथा के इस संवेदनशील क्षण ने सभी को कन्याओं के सम्मान और दहेज प्रथा के खिलाफ जागरूक किया।

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मारकंडेय ऋषि की कथा और अमरता का वरदान

आगे कथा में महामंडलेश्वर ने मृकंडु ऋषि के पुत्र मारकंडेय ऋषि की कथा सुनाई। मात्र 5 वर्ष की उम्र में भी मारकंडेय शिवभक्त थे। जब यमराज उन्हें लेने आए, तो उन्होंने शिव का स्मरण किया। महादेव स्वयं प्रकट हुए और यमराज को परास्त कर दिया। शिवजी ने मारकंडेय को चिरंजीवी होने का आशीर्वाद दिया।

गणेश व कार्तिकेय जन्म लीला का हृदयस्पर्शी वर्णन

महामंडलेश्वर ने कार्तिकेय और गणेशजी के जन्म की कथा भी सुनाई। जैसे ही गणेशजी के जन्म प्रसंग का वर्णन हुआ, पूरा पांडाल ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयकारों से गूंज उठा। नगर पालिका अध्यक्षा बसंती बाई यादव ने भी इस अवसर पर गणेशजी का पूजन किया।

काशी, वृंदावन और शिव के विविध रूप

कथा में स्वामी आशुतोषानंद गिरि ने कहा कि भक्ति के लिए वृंदावन और मुक्ति के लिए काशी जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि काशी में विश्वेश्वर, ओंकार, केदार जैसे तीन खंड हैं जिनकी विशेष महिमा है। काशी को पहले विष्णु जी का नगर बताया गया। उन्होंने कहा, “हमारे महादेव वृंदावन में राधा रानी के रूप में हैं। यदि शिव राधा बन सकते हैं तो शिव भक्तों को भी राधे-राधे जपना चाहिए।”

नगर पालिका अध्यक्ष ने बधाई दी

नगर पालिका अध्यक्षा बसंती बाई यादव ने स्वामी जी का स्वागत किया और व्यास पीठ को नमन कर आयोजन मंडल को नगर में इतने सुंदर धार्मिक आयोजन के लिए बधाई दी।

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