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खरगोन। साहित्य और शिक्षा जगत में शोक: रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. बार्चे ने की आत्महत्या

खरगोन। कुंदानगर क्षेत्र से गुरुवार शाम को एक दुखद समाचार सामने आया, जब सेवानिवृत्त अंग्रेजी प्राध्यापक और प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ. अखिलेश बार्चे (73) ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना के समय उनकी पत्नी घर में ही एक अन्य कमरे में मौजूद थीं।

डॉ. बार्चे ने अपने शयनकक्ष में पंखे से लटककर जान दी। पुलिस ने मौके से उनका चश्मा और मोबाइल बरामद किया है। हालांकि, कोई सुसाइड नोट नहीं मिला, लेकिन एक पर्ची पर मोबाइल का लॉक पैटर्न लिखा मिला है। कोतवाली थाना प्रभारी बीएल मंडलोई के अनुसार, घटना की जांच जारी है और आत्महत्या के कारणों की पुष्टि फिलहाल नहीं हो सकी है।

डॉ. अखिलेश बार्चे न केवल एक कुशल शिक्षक थे, बल्कि हिंदी व्यंग्य साहित्य में भी विशेष पहचान रखते थे। अंग्रेजी विषय में उनकी विशेषज्ञता के बावजूद उन्होंने हिंदी में लेखन को प्राथमिकता दी। उनके प्रमुख व्यंग्य संग्रहों में ‘सुखिया सब संसार’ (2003), ‘हम होंगे कामयाब’ (2006) और ‘क्यू में खड़ा आदमी’ (2020) शामिल हैं।

इसके अलावा उन्होंने ‘सहेजा हुआ अतीत’ (2020) नामक काव्य संग्रह, ‘संघर्षपूर्ण जीवन यात्रा’ (2022) नामक आत्मकथा और निमाड़ी में ‘वैलेंटाइन डे का लगन’ (2022) जैसे साहित्यिक कृतियों की भी रचना की थी।

साहित्यकारों और शिक्षाविदों ने इस असामयिक निधन पर गहरा दुख जताया है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। डॉ. बार्चे की रचनाएं लंबे समय तक साहित्य प्रेमियों के बीच जीवित रहेंगी।

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