ईओडब्ल्यू की छापेमारी के बाद इंदौर नगर निगम के सहायक उद्यान अधिकारी चेतन पाटिल बर्खास्त

इंदौर। नगर निगम में पदस्थ सहायक उद्यान अधिकारी चेतन पाटिल की सेवाएं आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की छापेमारी के बाद समाप्त कर दी गई हैं। यह कार्रवाई निगमायुक्त शिवम वर्मा द्वारा की गई, जिन्होंने आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि पाटिल ने सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए अपार संपत्ति अर्जित की और विभाग की साख को नुकसान पहुंचाया।
आय से अधिक संपत्ति, खरीदी में भ्रष्टाचार की पक्की पुष्टि
EOW को चेतन पाटिल के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने की शिकायत मिली थी। साथ ही एनआरआई सम्मेलन के दौरान पेड़-पौधों और गमलों की खरीद में गंभीर अनियमितताओं की भी खबरें थीं। इन शिकायतों के सत्यापन के बाद मजबूत साक्ष्यों के आधार पर केस दर्ज किया गया।
कोर्ट से सर्च वारंट मिलने के बाद पाटिल के गुलमोहर ग्रीन कॉलोनी स्थित निवास और नगर निगम के उद्यान विभाग कार्यालय में सघन छापेमारी की गई। दस्तावेजों की जांच में सामने आया कि करीब 2 करोड़ रुपए की पौध और गमलों की खरीद दर्शाई गई, जिसमें भारी वित्तीय गड़बड़ियां पाई गईं।
15 लाख की अर्जित आय, लेकिन पौने दो करोड़ की संपत्ति
जांच में पता चला कि चेतन पाटिल की वेतन आधारित कुल आय लगभग 15 लाख रुपए थी, लेकिन उसके घर से करीब 1.75 करोड़ रुपए की संपत्ति सामने आई। EOW की टीम ने छापे में कई फाइलें और दस्तावेज जब्त किए हैं, जिनमें से 5 पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बाकी की जांच अभी जारी है।
मात्र 30 हजार की तनख्वाह, लेकिन करोड़ों का मालिक
चेतन पाटिल की मासिक तनख्वाह 30 हजार रुपए थी, लेकिन उसने इससे कई गुना अधिक संपत्ति बना ली। छापेमारी में बीमा पॉलिसियों, कीमती गहनों और महंगे रिहायशी प्लॉटों की जानकारी मिली है। जांच एजेंसियों के मुताबिक, पाटिल ने यह सब प्रभावशाली लोगों से सांठगांठ कर हासिल किया। EOW के डीएसपी पवन सिंघल ने बताया कि चेतन वर्ष 2004 में मस्टरकर्मी के रूप में भर्ती हुआ था। बाद में उसने अधिकारियों और नेताओं से नजदीकियां बढ़ाकर खुद को उद्यान अधिकारी के पद तक पहुंचाया।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज
मामले में चेतन पाटिल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज कर लिया गया है। साथ ही नगर निगम के अन्य अधिकारियों और निजी कंपनियों की भी भूमिका की जांच की जा रही है, जिनकी संलिप्तता का संदेह है।