इंदौर

विश्व पर्यावरण दिवस पर स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के संवाद कार्यक्रम में हृदयेश जोशी

लोगों को बचाए बिना नहीं बच सकता पर्यावरण

इंदौर। यदि आप पर्यावरण बचाने की बात करते हैं तो आप अर्थव्यवस्था भी बचाते हैं। यदि जन बचते हैं तो ही जंगल बचेगें और जंगल बचेगें तो शेर भी बचेगें यह ही प्रकृति का चक्र है और नियम। सवा सौ साल पहले जितनी बड़ी दुनिया की आबादी थी उतनी आज भारत की आबादी है। तकरीबन 140 करोड़। धरती पर अब सात से आठ गुना अधिक भार है। सबसे बड़ी चिंता आबादी नहीं है, अपितु बदलती हुई लाइफ स्टाइल है।

यह विचार विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के संवाद कार्यक्रम में प्रसिद्ध लेखक, शोधार्थी एवं पत्रकार हृदयेश जोशी ने व्यक्त किए।  जोशी ने कहा कि आज की आधुनिक लाइफ स्टाइल में जैसे डिजिटल लाइफ स्टाइल, लग्जरी लाइफ स्टाइल, ट्रेवलिंग के तौर-तरीके, खाने और जीवन जीने की आदतें और सुख-सुविधाएं सभी शामिल हैं। हम हर हाथ से, हर बात से एनर्जी अपव्यय बढ़ा रहे हैं। जैसे इलेक्ट्रिकल कार-दुपहिया वाहन जिनको हम ग्रीन व्हीकल मानते हैं, पर इसकी रिचार्जिंग के लिए जिस बिजली का उपयोग हो रहा है, वह कोयले को जलाकर पैदा हो रही है। या फिर जेनरेटर सेट से बिजली पैदा कर रहे हैं। तो बात घूम-फिरकर वही हो गई। ग्रीन एनर्जी के लिए आवश्यकता है बिजली पैदा करने का तरीका भी ग्रीन हो।

नदियाँ भले ही ग्लेशियर से निकलती हैं लेकिन उन्हें ताकत तो जंगलों से मिलती है। दूधतौली गाँव से निकलने वाली रामगंगा नदी, जंगलों से निकलती है। जंगल जलधाराओं को समेटते हैं और धीरे-धीरे पानी छोड़ते हैं। मध्यप्रदेश के अमरकंटक से निकलने वाली नर्मदाजी के साथ भी यही कहानी है। जंगलों से इन्हें जल मिलता है। नदी में कई छोटी नदियाँ आकर मिलती हैं। हमें नदियों को प्रदुषण से बचाना है। और बम्पर टू बम्पर बाँध बनाने से भला क्या फायदा होगा?

जोशी ने बताया कि हमें अपने आस-पास के पोखरों, तालाबों, नदियों और जल स्रोतों का संरक्षण करना चाहिए। वेटलैंड्स बेहद जरूरी है। भरतपुर राजस्थान में किस तरीके से माइग्रेटरी वर्ड्स आते हैं। इंदौर के सिरपुर तालाब में भी यही नजारा देखने को मिलता है। लेकिन वेटलैंड को हम वेस्टलैंड मान लेते हैं, मतलब अनुपयोगी। मरुस्थल, ग्रास लैंड्स, वेटलैंड्स, माउन्टेन्स सब इकोसिस्टम का हिस्सा है और इनकी पर्यावरण में अपनी-अपनी महत्वपूर्ण भूमिका है।

जोशी ने एक विस्तारित प्रेजेंटेशन के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, संरचना निर्माण, जीवन शैली, कृषि और आने वाले भविष्य को लेकर उदाहरण सहित जानकारी दी। उन्होंने बढ़ते वाहन और प्रदुषण के बारे में कहा कि मास रैपिड ट्रांसपोर्ट ही सोल्यूशन है। हमने देखा है कि, शहरों और पर्यटन स्थलों पर कारों की भीड़ हो जाती है। आजकल लोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक अपनी ही कार ले जाते हैं। सोचिये कितने कार्बन फुटप्रिंट्स होते हैं। ऐसा नहीं है कि लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग नहीं करेंगे। हमे लास्ट माइल कनेक्टिविटी देनी होगी। दिल्ली जैंसे शहरों में जिस तरीके से मेट्रो का उपयोग लोग सहजता और सरलता से कर रहे हैं यही भविष्य का ट्रांसपोर्ट है।

संवाद कार्यक्रम में कुमार सिद्धार्थ, डॉ. जयश्री सिक्का, संजय पटेल, राजेन्द्र कोपरगांवकर, राकेश द्विवेदी, अभिषेक सिंह सिसोदिया, दीपक माहेश्वरी और राजदीप मल्होत्रा ने सम-सामयिक मुद्दों पर प्रश्न पूछे। संवाद कार्यक्रम के प्रारंभ में हृदयेश जोशी का स्वागत वरिष्ठ पर्यावरणविद ओपी जोशी, दिलीप वाघेला, स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल, सेवा सुरभि के समन्वयक ओम नरेड़ा कुमार सिद्धार्थ, रामेश्वर गुप्ता, रचना जौहरी , सोनाली यादव, शीतल राय, स्वाति मेहता ने किया। कार्टूनिस्ट गोविन्द लाहोटी ‘कुमार’ ने कैरिकेचर स्मृति स्वरूप भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन पंकज क्षीरसागर ने और यशवर्धन सिंह ने आभार व्यक्त किया। हृदयेश जोशी ने एतिहासिक गांधी हॉल परिसर में वृक्षारोपण किया एवं स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के हरियाली जागरूकता पोस्टर का विमोचन भी किया।

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