जैन संतों का मंगल प्रवेश, समाजजनों ने धूमधाम से की अगवानी

सेंधवा। दिगंबर जैन पट्टाचार्य 108 श्री विशुद्ध सागरजी के संघस्थ मुनि श्री 108 सारस्वतसागरजी महाराज, मुनि श्री 108 जयंतसागरजी महाराज, मुनि श्री 108 सिद्ध सागर जी महाराज एवं क्षुलक श्री 105 श्रुत सागरजी महाराज का नगर आगमन सेंधवा नगर में प्रातः कालीन भोर बेला में हुआ। दिगंबर एवं श्वेतांबर स्थानक एवं मूर्तिपूजक समाज द्वारा मुनि संघ की बड़ी धूमधाम से अगवानी जैन स्थानक भवन में की । इसके पश्चात प्रातः 9 बजे मुनि श्री 108 सारस्वत सागरजी महाराज ने उपस्थित श्रावक श्राविकाओ को अपने प्रवचन में कई विषयों पर मार्मिक एवम आलौकिक जानकारी दी ।
मुनि श्री ने अपने प्रवचन में कहा की भगवान महावीर किसी भगवान को देखकर भगवान नहीं बने, अपितु स्वयं को देखकर भगवान बने। अर्थात मनुष्य को अपने स्वयं को पहचानना होगा तभी मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होगा ।
दिगंबर जैन समाज के सचिव श्री सौरभ जैन ने बताया कि मुनि संघ का आगामी चातुर्मास महाराष्ट्र राज्य के सांगली कोल्हापुर एवम नगर के पास निश्चित है जिसके फलस्वरूप मुनि संघ का विहार इंदौर से सांगली की ओर चल रहा है। श्री सौरभ जैन ने बताया कि विहार के दौरान मुनि संघ द्वारा सेंधवा नगर में दिगंबर जैन मंदिर हेतु क्रय की गई भूमि का अवलोकन अणु विहार कॉलोनी में किया गया । विहार एवम प्रवचन में सकल जैन समाज के संरक्षक एवम सदस्य प्रेमचंद सुराणा, अशोक सकलेचा, सुरेश बागरेचा , भूषण जैन,अशोक पाटनी, योगेश पाटनी, रत्नेश जैन, तेजस शाह एवम बड़ी संख्या में महिला एवम पुरुष वर्ग उपस्थित रहा ।