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जंगल में चरवाहों से मित्रता का हाथ बढ़ा रहा वन विभाग इनके साथ मिलकर होगी जंगलों की निगरानी। अप्रिय घटना की देंगे।
जिले में 1 लाख हेक्टेयर में जंगल, सात रेंजों में बनाए जाए चरवाह वन मित्र। मांडू से डीएफओ की शुरुआत।

आशीष यादव धार
जिले में लगातार जंगल का रकबा कम होने से जंगल दिन पे दिन कम हो रहे है साथ लगातार जगलो में जो घटनाएं हो रही है। इसको भी रोखने का काम किया जाएगा वही इसको लेकर प्रदेश सरकार जंगलों को बचाने के लिए एक विशेष अभियान चलाकर जमीनी स्तर पर जंगलों की रक्षा करने वाले लोगों को जोड़ने का काम कर रही है। इसलिए जिला मुख्यालय पर भी जंगलों को बचाने के लिए चरवाह वन मित्र बनाकर से दोस्ती कर उनको जंगलों के बारे में जानकारी देने के साथ उनसे कार्य लेने की योजनाएं बनाई जा रही है। इसको लेकर डीएफओ अशोक कुमार सोलंकी ने भी चरवाहो के बीच बैठकर मित्रता की ओर कदम बढ़ाया वह जंगलों के बारे में जानकारी साझा की ओर जानकारी ली। डीएफओ ने बताया कि सभी चरवाहे बंधु हमारे वन मित्र हैं। जंगल की गतिविधियों की जानकारी के लिए सूचनाओं का आदान-प्रदान हो इसके लिए वन विभाग ने चरवाहा मित्र दल बनाकर 37 चरवाहों को परिचय पत्र भी दिए गए। साथ ही पर्यावरण और जंगलों की रक्षा हम सब का परम दायित्व है। आप और हम मिलकर जंगलों की सुरक्षा और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए विशेष रूप से काम करेंगे।
अवैध गतिविधियों पर लगेंगी रोक:
वही जगलो में अवैध लगातार जगलो क्षेत्रो के कम होने से अब अवैध कटाई के साथ अन्य कारणों से जंगलों के नुकसान होने से बचाने के लिए अब अधिकारियों ने मैदान पकड़ लिया है। इस अब चरवाहों के जरिए जंगल की सुरक्षा की निगरानी रुकवाई जायेगी वही जिले में अभी करीब एक लाख 10 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र है। जो 1300.34 वर्ग कि.मी मीटर फैला हुआ है। वही जगलो की सुरक्षा में लिए 150 से वन कर्मचारियों जंगल के देख रेत करते है। मोबाईल पर व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर इनको जोड़ा जायेगा। जंगल में किसी क्षेत्र में कोई घटना होती है चरवाहे व्हाट्सएप ग्रुप या व्यक्तिगत रूप से तत्काल विभाग को सूचना दें। किसी भी वन्य प्राणी को कोई नुकसान नही हो। जंगलों में यदि शिकारी की कोई अवैध गतिविधि चल रही हो तो उसे भी अधिकारियों को शेयर करें।

सात वनपरिक्षेञ में चलाया जायेगा अभियान:
वन विभाग के डीएफओ के मार्गदर्शन ने एसडीओ, रेंजर व अन्य कर्मचारी गांव गांव जाकर चरवाहों की बैठक करके चरवाहों से मित्र का हाथ बढ़ाया जा रहा है इनके साथ हाथ बढ़ाकर जंगलों की रक्षा की जाएगी जिससे कहीं हद तक जंगल में अप्रिय घटना की जानकारी उनके मार्ग दर्शन में विभाग के कर्मचारियों को मिलेगी। वही चरहवो मित्रता करने के बाद विभाग इनसे गोपनीय तरीके से इनकी जानकारी रखेगा। आपसी सहयोग के माध्यम से शासकीय योजनाओं के अंतर्गत वन्य प्राणी द्वारा पशु घायल या पशु हानी की जाती है तो मुआवजा प्रदान किए जाने मैं भी यह कारगर सिद्ध होगा। वन मित्र से अधिकारियों एवं बीट गार्ड्स के फोन नंबर उपस्थित चरवाहो को आदान प्रदान किए गए।
परिचय पत्र देकर बनाए सदस्य:
नवाचार के तहत मांडू वन परिक्षेत्र में आयोजित चरवाहा मित्र दल की बैठक में जमीन पर एक साथ बैठकर उपस्थित चरवाहों से कहीं। इस मौके पर उन्होंने व्यक्तिगत रूप से अलग-अलग सभी से चर्चा कर प्रत्येक सदस्य को वन विभाग की तरफ से परिचय पत्र जारी किया। उन्होंने कि वर्तमान में शासन द्वारा जल गंगा अभियान चलाया जा रहा है। मांडू वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जल स्रोतों की साफ सफाई के लिए भी यहां लगातार काम किया जाएगा। डीएफओ सोलंकी ने कहा कि चरवाहे स्थानीय वन अमले को जानकारी देते हुए कहा कि आप यह परिचय पत्र साथ मे रखे। सोलंकी ने सदस्यों को बताया कि प्रतिबंधित क्षेत्र को छोड़कर शेष क्षेत्र में ही पशुओं को चराए। इस दौरान कुल्हाड़ी आदि हथियार साथ ना ले जाए। इस दौरान उन्होंने उपस्थित लोगों को जंगल के बंद क्षेत्र प्रतिबंधित क्षेत्र से भी अवगत कराया।
यह काम करेंगे चरवाह वन मित्र:
जिले में वन क्षेत्र में चरवाहों के माध्यम से विशेष निगरानी रखी जाएगी इसके लिए जंगलों में होने वाले अवैध व अन्य तरीके का कामों को पर भी चरवाहों की नजर रहेगी उनकी नजरों में जो भी आएगा उसकी जानकारी वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों को दी जाएगी जिसे जंगलों में आग लगने की घटना, जंगल कटाई होने की सूचना,जंगलों में शेर या तेंदुए की गतिविधियों की जानकारी, वही जंगल मे शिकारियों की सूचना आदि कही कार्य जो जंगल मे होते उनकी सभी जानकारी वनकर्मियों को दी जाएंगी। वही हर गाँवो में चरवाहे होते है उनको जोड़ने का काम भी विभाग करेगा। वन मित्र से नवाचार से आपस की दूरियां घटेगा और जंगलों को सुरक्षित रखने में यह बड़ा कदम साबित होगा।
वन्यप्राणी के हमले में सहायिता राशि:
जिले में वन्यप्राणी के हमले के कारण हुए घायलों को इलाज के दौरान वन विभाग द्वारा तुरंत सहायता राशि प्रदान की जाती है वही अभी तक नौ लोग जिले में वन्य प्राणी से घायल हुए हैं जिनको अब तक 34 हजार से अधिक रुपए की आर्थिक सहायता दी गई। वही वन्य प्राणियों ने जिले में पशु हानि भी की है। जिसमें 74 प्रकरण दर्ज किए हैं। व पीड़ित परिवार को 13 लाख से अधिक पशु हानि की सहायता राशि दी है। वही अब एप के माध्यम से पशु हानि की शिकायत दर्ज करवा सकते है वही अभी जिले 3 केश एप से दर्ज किए है।