राम-कृष्ण के बिना भारत भूमि और सनातन संस्कृति की कल्पना करना भी संभव नहीं – साध्वी कृष्णानंद
गीता भवन में महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद के सानिध्य में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ में धूमधाम से मना कृष्ण जन्मोत्सव

राम-कृष्ण के बिना भारत भूमि और सनातन संस्कृति
की कल्पना करना भी संभव नहीं – साध्वी कृष्णानंद
गीता भवन में महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद के सानिध्य में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ में धूमधाम से मना कृष्ण जन्मोत्सव
इंदौर, भारत जैसी विलक्षण, धर्म और संस्कृति से समृद्ध भूमि दुनिया में कहीं और नहीं है। दुनिया के किसी भी देश में इतने त्योहार और अवतार नहीं हुए हैं, जितने भारत भूमि पर होते हैं। पश्चिम की संस्कृति डूबते हुए सूरज की है। सूर्योदय की पहली किरण भारत भूमि पर पड़ती है। राम और कृष्ण इस पावन धरा के प्राण तत्व हैं, जिनके बिना हमारी परंपराएं, संस्कार और संस्कृति भी अधूरे हैं। राम-कृष्ण के बिना भारत भूमि और सनातन संस्कृति की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
ये प्रेरक विचार हैं वृंदावन-हरिद्वार की साध्वी कृष्णानंद के, जो उन्होंने मनोरमागंज स्थित गीता भवन सत्संग सभागृह में आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद महाराज के सानिध्य में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ में कृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग के दौरान व्यक्त किए। कथा में कृष्ण जन्मोत्सव का जीवंत उत्सव भी धूमधाम से मनाया गया। जैसे ही भगवान को सुसज्जित टोकनी में वसुदेव और देवकी सभागृह में लेकर आए, समूचा कथा स्थल भगवान के जयघोष से गूंज उठा। समाजसेवी प्रेमचंद गोयल के आतिथ्य में बधाई गीत के बीच नाचते-गाते भक्तों ने पुष्प वर्षा कर अपनी खुशियां व्यक्त की। कथा शुभारंभ के पूर्व उड़ीसा से आए समाजसेवी दीपक शिवहरे, जयपुर से आए आर.सी. गुप्ता, शिक्षाविद सविता राय आदि ने कमलेश शिवहरे, गौरव शिवहरे, श्याम मोमबत्ती, प्रमोद बिंदल एवं अर्पित शिवहरे के साथ व्यासपीठ का पूजन किया। संयोजक कमलेश शिवहरे ने बताया कि गीता भवन में भागवत ज्ञान यज्ञ का यह दिव्य अनुष्ठान 29 अप्रैल तक प्रतिदिन सायं 4 से 7 बजे तक जारी रहेगा। रविवार , 27 अप्रैल को गोवर्धन पूजा एवं नंदोत्सव प्रसंग मनाया जाएगा।
साध्वी कृष्णानंद ने कहा कि आज समाज में अनेक तरह की विकृतियां पनप रही हैं। हमारे परिवार बिखर रहे हैं। बच्चों को भी बुजुर्गों के पास बैठने और उनसे कुछ सीखने की चाहत कम होती जा रही है। और भी अनेक ऐसी विसंगतियां हैं, जिन्हें दूर किए बिना हम एक संस्कारित परिवार की स्थापना नहीं कर पाएंगे। भागवत और हमारे अन्य सभी धर्मग्रंथ एक संगठित समाज का संदेश देते हैं। राम और कृष्ण जैसे अवतारों की जरूरत अब ज्यादा सार्थक लगती है। भारत भूमि पर जो कुछ हो रहा है, उसे देखते हुए हम सब यही प्रार्थना करें कि राम और कृष्ण एक बार और अवतार लेकर नरपिशाचों और असुरी ताकतों का समूल नाश करें।