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अपने बच्चों से मोबाइल की दूरी बढ़ाए और आप स्वयं उनके पास जाए- प्राचार्य मुकेश पाटील

सरस्वती विद्या मंदिर सेंधवा में मोबाइल के दुष्प्रभाव को लेकर अभिभावक गोष्ठी का आयोजन

सेंधवा। आज के युग मे बच्चों के द्वारा मोबाइल के अतिउपयोग की चिंता को ध्यान में रखते हुए शिशु मंदिर सेंधवा में अभिभावक गोष्ठी रखी गई। तीन दिवसीय इस गोष्ठी में विद्यालय प्राचार्य मुकेश पाटील ने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारे सर्वेक्षण व अनुभव में यह बात सामने आई है कि वर्तमान में बच्चों में जिद्दीपन, जल्दी गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन जैसी कई गंभीर बीमारी सामने आ रही है। साथ ही बच्चों में अध्ययन कार्य को लेकर रुचि कम हो रही है। जिसका प्रमुख कारण मोबाइल फ़ोन है। आज बच्चा चलना बाद में सीखता है, पहले मोबाइल फ़ोन चालाना सिख जाता है। सोशल मीडिया पर कई ऐसी सामग्री उपलब्ध है, जो बच्चों के सामाजिक जीवन पर विपरीत प्रभाव डाल रही है। ऑनलाइन गेमिंग जैसी कई ऐप्स से बच्चों में सट्टे जैसी आदतों को जन्म दिया है। पढ़ने लिखने की उम्र में बच्चे सोशल मीडया पर फ़ॉलोवर्स बढाने की दौड़ में लगे है। ये हम सब के लिये बहुत बड़ी चिंता का विषय है। जिसका निराकरण आप और हमको मिलकर निकालना होगा।
उन्होंने सभी से निवेदन किया की आप अपने बच्चों को बहुत कम समय के लिए हाथ मे मोबाइल दे। 12वीं कक्षा तक उनको व्यक्तिगत मोबाइल न दिलाये उनके साथ मित्रता पूर्ण व्यवहार करते हुए उनके साथ समय व्यतीत करें। गोष्ठी में अभिभावकों के सुझाव भी मांगे तथा उनके साथ व्यक्तिगत चर्चा कर बच्चों के साथ आ रही परेशानी को भी जाना।

पंचपरिवर्तन विषय पर भी हुई चर्चा
आधुनिकता व पश्चिमिकरण की दौड़ के कारण विलुप्त होती भारती संस्कृति को पुनः सही दिशा देने के लिए पंच परिवर्तन विषय को भी अभिभावकों के मध्य साझा किया गया। जिसमें
सामाजिक समरसता समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सौहार्द और प्रेम बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित।
कुटुम्ब प्रबोधन परिवार को राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली इकाई के रूप में संवर्धित करना।
पर्यावरण संरक्षण पृथ्वी को माता मानकर पर्यावरण संरक्षण हेतु जीवनशैली में बदलाव लाना
स्वदेशी और आत्मनिर्भरता देश की स्वदेशी अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भरता पर जोर दें
नागरिक कर्तव्य प्रत्येक नागरिक का सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन और राष्ट्रहित में योगदान देना विषयसम्मिलित थे
कार्यक्रम के अंत में बड़ती गर्मी को देखते हुए पक्षियों के लिए पानी के सिकोरे रख गोष्ठी का समापन हुआ।

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