इंदौर की बेटी दिव्यांशी ने ‘चौथी बार में जीती’ यूपीएससी की बाजी-हासिल की 571वीं रैं
जब कुछ करने की ठान ली जाए, तो रास्ते खुद-ब-खुद बनते हैं-इंदौर की दिव्यांशी पांडे

इंदौर की बेटी दिव्यांशी ने ‘चौथी बार में जीती’ यूपीएससी की बाजी-हासिल की 571वीं रैंक
इंदौर । जब कुछ करने की ठान ली जाए, तो रास्ते खुद-ब-खुद बनते हैं। इंदौर की दिव्यांशी पांडे ने इसे साबित कर दिखाया है। यूपीएससी 2024 की फाइनल लिस्ट में उनका नाम 571वीं रैंक के साथ शामिल हुआ।
सफलता चौथे प्रयास में मिली – लेकिन हौसला पहले दिन से था बुलंद* सुदामा नगर की रहने वाली दिव्यांशी एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार से हैं। पिता मंदिरों में भगवान हनुमानजी का श्रृंगार करते हैं, मां गृहिणी हैं। साधारण परिवार की होकर भी देश सेवा के बड़े सपने थे।
तीन बार प्रीलिम्स में असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। सब्र रखा, संघर्ष किया। इंदौर में रहकर पढ़ाई की, बीच में दिल्ली भी गईं। चौथे प्रयास में उनकी मेहनत रंग लाई।
*कलेक्टर सिंह ने बुलाकर किया सम्मानित* इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने दिव्यांशी को सपरिवार बुलाकर मिठाई खिलाई, गुलदस्ता भेंट किया और कहा – “दिव्यांशी ने इंदौर का नाम रोशन किया है। उनकी सफलता से और भी युवा प्रेरित होंगे।
संगीत से भी है खास नाता* यूपीएससी इंटरव्यू में जब उनसे उनके शौक के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने ‘सिंगिंग’ बताया। पैनल ने तीन गाने सुनाने को कहा- दिव्यांशी ने सुरों से सभी को प्रभावित कर दिया।
*प्रेरणा बने फूफा * इस सफर में उन्हें सबसे ज्यादा प्रेरणा मिली अपने फूफा मनीष पांडे से। वे नगर निगम की वर्कशॉप के प्रभारी हैं। दिव्यांशी कहती हैं – “अगर उन्होंने विश्वास न जताया होता, तो शायद मैं फिर से प्रयास ही नहीं करती।”
*अब बारी देश की सेवा की* आईआरएस या आईपीएस में चयन की उम्मीद लिए दिव्यांशी अब नई जिम्मेदारियों की ओर बढ़ रही हैं। इंदौर की इस बेटी की कहानी आज हर युवा के लिए एक सबक है – सपने बड़े रखो, कोशिश करते रहो, मंज़िल जरूर मिलेगी।