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एआई के साथ शुरू हुआ तकनीकी दौर भारत को विश्व गुरु बनाएगा : सुधांशु त्रिवेदी

तीन दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव का शुभारंभ

एआई के साथ शुरू हुआ तकनीकी दौर भारत को विश्व गुरु बनाएगा : सुधांशु त्रिवेदी

 तीन दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव का शुभारंभ

 इंदौर। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा है कि एआई के साथ पूरे विश्व में तकनीक का दौर शुरू हुआ है। अब एआई के बाद में यह तकनीक और ज्यादा आगे बढ़ेगी। इस तकनीक के आगे बढ़ने से विश्व में मूलभूत परिवर्तन होगा। यह वक्त भारत का वक्त है और इस वक्त में भारत विश्व में विश्व गुरु के रूप में उभर कर सामने आएगा।

द्विवेदी आज यहां जाल सभागृह में स्टेट प्रेस क्लब म प्र के द्वारा आयोजित तीन दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस सत्र का विषय था ए आई और उसके आयाम। उन्होंने कहा कि एआई का काल है अवेकनिंग इंडिया का काल। बजट में 10 हजार करोड़ का प्रावधान इस वर्ष ए आई के लिए रखा गया है। इसमें मुख्य रूप से कृषि, स्वास्थ और विकास पर काम किया जाएगा।

एआई के अगले दौर में अब ज्यादातर जॉब्स 10 बजे से 6 बजे हटकर प्रोजेक्ट पर आधारित होगे जो कि फ्री लांसिंग की तरह होगा । भाषा की लड़ाई जो कई वर्षों से चली जा रही है उसको भी एआई के माध्यम से खत्म करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने अपने भाषण में मुख्य रूप से कहा कि बुद्धि प्रतिक्रिया दे सकती है लेकिन अनुभूति नहीं कर सकती। एआई से मस्तिष्क जीता जा सकता है लेकिन दिलों को नहीं जीता जा सकता। विश्व में अनुभूति को लेकर भारत की पकड़ मजबूत है। इसके साथ ही विकास में भी भारत बहुत आगे है। जैसे – जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ी है वैसे वैसे भारत की श्रेष्ठता आगे बढ़कर आई है। 48% डिजिटल ट्रांजेक्शन केवल भारत में हो रहे है जो कि चीन और अमेरिका को मिला कर भी ज्यादा है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने कहा कि पत्रकारों को हर दिन परीक्षा देना होती है। राजनेताओं को 5 साल में एक बार चुनाव के समय परीक्षा देना होती है। इसलिए दोनों के बीच में समानता में फर्क है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अपना महत्व है और इसका उपयोग हमें सावधानी के साथ करना चाहिए। थर्मामीटर बुखार इसलिए नाप देता है क्योंकि उसमें बुखार नहीं होता है। पत्रकार भी हर दिन जीवन की कसौटी पर खरा उतरता है।

वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र राय ने कहा कि आई से पत्रकारिता को कोई खतरा नहीं है। मानव की मानसिकता से ज्यादा कोई मशीन काम नहीं कर सकती है। जैसा की कहा जा रहा है कि एआई के कारण 80 करोड़ नौकरी जाएगी तो मैं कहता हूं कि यदि इतनी नौकरी जाएगी तो 95 करोड़ नौकरी नहीं बनकर सामने आ जाएगी। कंटेंट की समझ और बोलने की शैली जिस व्यक्ति के पास है उसे एआई से कोई नुकसान नहीं हो सकता है। इससे हमें ना तो खतरा है और ना हीं हमें इससे प्रतिस्पर्धा करना चाहिए। औद्योगिक क्रांति के समय भी सभी को लगा था कि इसके बाद बेरोजगारी बढ़ जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब तकनीकी क्रांति के समय पर भी ऐसा ही लग रहा है लेकिन ऐसा नहीं होगा।

कार्यक्रम के प्रारंभ में स्टेट प्रेस क्लब म प्र के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल ने पत्रकारिता महोत्सव की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन आलोक वाजपेई ने किया और अंत में आभार प्रदर्शन संजीव श्रीवास्तव ने किया।

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