राम और हनुमान के नाम का पुण्य स्मरण आलस्य और प्रमाद में भी करें तो हमारे कल्याण में कोई संशय नहीं
पंचकुइया स्थित दास बगीची पर श्रीराम-हनुमत चरित्र महोत्सव में राष्ट्रकवि पं. सत्यनारायण सत्तन

राम और हनुमान के नाम का पुण्य स्मरण आलस्य और प्रमाद में भी करें तो हमारे कल्याण में कोई संशय नहीं
पंचकुइया स्थित दास बगीची पर श्रीराम-हनुमत चरित्र महोत्सव में राष्ट्रकवि पं. सत्यनारायण सत्तन इंदौर। प्रभु राम के नाम का जादू ही कुछ ऐसा है कि किसी भी स्थिति में, भले ही आलस्य और प्रमाद में भी उनके नाम का स्मरण कर लें तो हमारे कल्याण में कोई संशय शेष नहीं रह पाएगा। इसी तरह हमारी हनुमत कथा का भी संदेश यही है कि यदि निष्ठा और ध्यान से हनुमत चरित्र का श्रवण कर लिया तो जीवन में कभी न तो भय रहेगा, न कोई संशय । ऐसे राम और हनुमान के प्रति भक्ति रखने वाले भक्तों का दसों दिशाओं में उद्धार हो जाता है। यह याद रखें कि भगवान के सौंदर्य, सत्ता और ऐश्वर्य ही सर्वोपरि हैं, इनकी सत्ता से ऊपर और कोई नहीं हो सकता। राम और हनुमान के बिना हम हमारी भारत भूमि की कल्पना भी नहीं कर सकते। वर्तमान युग में सनातन धर्म को मजबूत बनाने के लिए हमारे देवी-देवताओं के प्रति अगाध, अखंड और अटूट निष्ठा की जरूरत है।
श्री दास हनुमान जय सियाराम बाबा धार्मिक ट्रस्ट, हम्माल कालोनी युवा संगठन एवं नवग्रह शनिधाम के तत्वावधान में चल रहे श्रीराम हनुमान चरित्र महोत्सव के दौरान उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए -कहा कि देह में रहकर विदेह हो जाना असाधारण बात होती है। यह दास बगीची गुरुओं का स्थान है। जय सियाराम बाबा का पुण्य स्मरण करते हुए पं. सत्तन ने कहा कि गुरु स्थान पर कही जाने वाली कथा के श्रोताओं के कल्याण में कोई संशय नहीं होना चाहिए। जरूरत है तो केवल श्रद्धा की। जितनी और जैसी हमारी श्रद्धा होगी, हमें सत्संग का पुण्य फल भी उसी अनुपात में मिलेगा ही। हमारी साधना तभी सार्थक होगी, जब हम पूरी निष्ठा के साथ अपने प्रयासों की ओर आगे बढ़ेंगे। श्रद्धा और विश्वास जीवन के अनिवार्य तत्व हैं।
अपनी विशिष्ट और काव्यात्मक शैली में पं. सत्तन ने अनेक कहावतों और अपनी कविताओं का भी उल्लेख किया। कथा शुभारंभ के पूर्व आयोजन समिति की ओर से संयोजक धर्मेश यादव, देवेश यादव, अभिषेक चावड़ा, मोहित यादव, पंकज ठाकुर, सावन यादव, ऋषि नामदेव आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।