अब प्राइवेट स्कूलों पर सरकार का डंडा चलेगा प्राइवेट स्कूलों में मनमानी फीस वसूलने पर बनेंगे नियम।
जिले में 900 निजी स्कूल का संचालन ह्यो रहा है वही अब 25 हजार से ज्यादा फीस वाले स्कूलों को लेना होगी प्रशंसान कि परमिशन।

आशीष यादव धार
नए शिक्षा नियम के साथी सरकार अब निजी स्कूलों पर कमर कसने वाली है। जहां पहले नियम के विरुद्ध चल रहे स्कूलों के लिए कार्रवाई की वही बाद ने स्कूलों की।मान्यताओं ने जटिलता कर फर्जी स्कूलों पर नकल कसी है। वही अब प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस वसूली पर लगाम कसने के लिए मंजूर विधेयक पर स्कूल शिक्षा विभाग ने नियम तैयार करने की शुरुआत कर दिया है। इसके लिए विभाग द्वारा प्रस्ताव का प्रारूप तैयार कर एक माह में दावे-आपत्ति बुलाए गए हैं। इसके बाद नए शिक्षा सत्र से इस व्यवस्था को लागू करने के लिए नियम जारी किए जाएंगे। इसमें यह प्रावधान किया गया है कि प्रदेश में 25 हजार रुपए से अधिक फीस वसूलने वाले प्राइवेट स्कूलों को फीस वृद्धि के पहले जिला समिति से परमिशन लेनी होगी। जिला समिति के फैसले पर आपत्ति होने पर राज्य समिति से अपील की जा सकेगी। जिन स्कूलों 25 हजार से कम फीस वसूली जा रही है, वहां भी फीस में दस फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी नहीं की जा सकेगी। स्कूल शिक्षा विभाग ने इसे लेकर 11 मार्च को जारी नोटिफिकेशन में प्रस्ताव किया है। इसके अनुसार अधिक फीस वसूली को लेकर मध्यप्रदेश प्राइवेट स्कूल फीस तथा संबंधित विषयों का विनिमयन नियम 2020 में संशोधन के लिए राज्य सरकार ने प्रस्ताव तैयार किया है। इसके लिए एक माह की अवधि में दावे-आपत्ति मांगे गए हैं। इसके बाद नियम जारी किए जाएंगे
900 के लगभग स्कुल जिले में:
नई शिक्षा नीति आने के बाद जिले में शिक्षा विभाग ने भी कमरकस ली है और जमीनीस्तर पर कार्य करना शुरू कर दिया है वही पहले स्कूलों की मान्यता को लेकर कार्य मे लगे हुए थे वही अब सरकार अब प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस वसूली पर लगाम कसने के लिए मंजूर विधेयक पर स्कूल शिक्षा विभाग ने नियम तैयार करने की शुरुआत कर दिया है। वही जिले में 1 से 8 तक 700 निजी स्कूल है तो 9 से 12 तक जिले में 219 स्कूलओ का संचालन लिया जा रहा है इसको लेकर अभी जिले में शिक्षा विभाग भी कार्य कर रहा है।
छोटे निजी स्कूलों को फीस बढ़ोत्तरी की राहत:
अब छोटे प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ोत्तरी का अधिकार देने जा रही है। जिनकी फीस सालाना 25 हजार रूपए से कम है। 25 हजार रूपए से कम फीस वाले स्कूल फीस नियंत्रण अधिनियम के दायरे में नहीं आएंगे और वो 10 फीसदी तक की फीस बढ़ोत्तरी बिना अनुमति के कर सकेंगे। हालांकि यदि स्कूल 15 प्रतिशत से अधिक फीस वृद्धि करते हैं तो इसके लिए पहले जिला समिति से अनुमति लेनी होगी। ऐसा नहीं करने पर अधिनियम के प्रविधान के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
अपलोड करना होगा एफिडेविट:
जो स्कूल 25 हजार रुपए वार्षिक फीस के दायरे से बाहर हैं उन्हें एक नोटरी एफिडेविट देना होगा। इसे पोर्टल पर भी अपलोड करना होगा। इसके लिए विभागीय समिति और राज्य समिति के माध्यम से प्रक्रिया पूरी की जाएगी। राज्य समिति को यह अधिकार दिए गए है कि वह विभागीय समिति के द्वारा लगाई गई पेनल्टी को घटा या बढ़ा सकेगी।
45 दिन में करना होगा निराकरण:
प्रस्ताव में कहा गया है कि विभागीय समिति अपील आवेदन मिलने के 45 दिन के भीतर निर्णय करेगी। किसी प्राइवेट स्कूल द्वारा 15 प्रतिशत से अधिक फीस बढ़ाने संबंधी निर्णय के अलावा शेष सभी मामलों में विभागीय समिति का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होगा। प्रस्ताव में कहा गया है कि राज्य समिति को यह अधिकार होगा कि 45 कार्यदिवस के भीतर इस मामले में फैसला करे।
यह कहता है 2024 में बना कानून
• प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूलने को लेकर दिसम्बर 2024 में कानून बनाया गया है।
• इसमें कहा गया है कि 25 हजार रुपए सालाना फीस वसूलने वाले स्कूल दस प्रतिशत तक फीस बढ़ा सकेंगे।
• 15 प्रतिशत से अधिक फीस बढ़ाने पर जिला विभागीय समिति और फिर राज्य समिति की परमिशन लेना होगी।
• इसका फायदा 25 हजार से कम फीस वसूलने वाले स्कूलों को मिलेगा।
• वे 10 प्रतिशत की लिमिट के आधार पर इस सीमा तक अपनी फीस बढ़ा सकेंगे