शिव की भक्ति सभी बंधनों से मुक्त बना देगी- पं. तिवारी
शिव पुराण ज्ञान यज्ञ के समापन पर 25 गांवों के श्रद्धालुओं ने ली महाप्रसादी

शिव की भक्ति सभी बंधनों से मुक्त बना देगी- पं. तिवारी
धरावरा धाम पर अ.भा. मानस सम्मेलन में चल रहे शिव पुराण ज्ञान यज्ञ का समापन
– 25 गांवों के श्रद्धालुओं ने ली महाप्रसादी
इंदौर। भगवान शिव की आराधना निराकार रूप में भी होती है और साकार रूप में भी। वे करूणा के अवतार हैं। शिव की साधना करने वाले भक्त को जीवन में हर तरह के सुख प्राप्त होते हैं। शिव शक्ति भी है, भक्ति भी हैं और प्रेम भी है। शरीर से शिव तत्व बाहर होते ही शरीर शव बन जाता है। विश्वास में ही ईश्वर का वास है, इसीलिए कभी किसी के साथ विश्वास घात नहीं करना चाहिए। पाप और पुण्य छुपाकर नहीं रखे जा सकते। हमारी आंखें ही हमारे कर्मों का लेखा-जोखा बता देती है। कर्म के प्रभाव से कोई बच नहीं सकता, चाहे वह कितना ही बड़ा चक्रवर्ती राजा हो या रंक। शिव की भक्ति सभी बंधनों से मनुष्य को मुक्त बना देगी।
धार रोड स्थित धरावरा धाम आश्रम परिसर में ब्रह्मलीन महंत घनश्यामदास महाराज के 16 वें पुण्य स्मृति प्रसंग पर महंत शुकदेवदास के सानिध्य में चल रहे अ.भा. मानस सम्मेलन के तहत शिव पुराण कथा में प्रख्यात मनीषी पं. पुष्पानंदन पवन तिवारी ने विचार व्यक्त किए।
कथा शुभारंभ के पूर्व अयोध्या से आए प्रख्यात मृदंग वादक पं. विजय रामदास एवं जितेन्द्र व्यास के साथ समिति के संयोजक डॉ. सुरेश चौपड़ा, ललित अग्रवाल, कल्याणमल भांगड़िया,सुधीर अग्रवाल, न्य श्रद्धालुओं ने व्यासपीठ का पूजन किया। कथा समापन के अवसर पर आसपासके 25 गांवों के भक्तों ने भंडारे में महाप्रसादी का पुण्य लाभ भी उठाया। आयोजन समिति के गोपाल गोयल, सीताराम नरेड़ी, सुधीर अग्रवाल सहित अनेक श्रद्धालुओं ने महंत शुकदेवदास महाराज के सानिध्य में कथा व्यास पं.पुष्पानंदन पवन तिवारी का समिति की ओर से अभिनंदन एवं सम्मान किया।
कथा में आचार्य पं. तिवारी ने कहा कि शिव पुराण की कथा में जीवन को संवारने के अनेक मंत्र भरे पड़े हैं। भगावन शिव महादेव कहलाए, क्योंकि समाज की बुराइयों का विष पीकर उन्होंने यह संदेश भी दिया है कि देव तो सब हो सकते हैं, लेकिन महादेव वही हो सकते हैं, जो समाज की बुराईयों का जहर पीने की क्षमता रखता हो। उनके गले में सर्प है, जो पुत्र कार्तिकेय की सवारी मोर का कट्टर दुश्मन है। उनके एक अन्य पुत्र गणेश की सवारी चूहा है, जिसकी दुश्मनी मोर के साथ है। उनके दरबारी नंदी का मुकाबला शेर से है, जो मातृशक्ति की सवारी है। इस तरह एक दूसरे के विपरीत स्वभाव वाले परिजनों को किस तरह साथ लेकर चला जा सकता है, यह संदेश भगवान शिव के परिवार से मिलता है। आज हमारे समाज और देश में भी इसी तरह के समन्वय और सदभाव की जरूरत है। समाज तभी आगे बढ़ेगा, जब हम एक-दूसरे के साथ सदभाव और समन्वय बनाकर चलेंगो।