इंदौरधर्म-ज्योतिष

श्री श्रीविद्याधाम के प्रकाशोत्सव पर निकली भव्य शोभायात्रा

लाव-श्कर के साथ अपने भक्तों को दर्शन देने निकली मां त्रिपुर सुंदरी

सजेगा चार मंजिला भव्य पुष्प बंगला

इंदौर। जगह-जगह पुष्प वर्षा और मां के जयघोष के बीच बैंड-बाजों, नगाड़ों और शहनाईयों की सुर लहरियों पर थिरकते श्रद्धालु… सुसज्जित रथ पर सवार स्वर्ण मुकुट एवं अन्य अभूषणों से अलंकृत मां पराम्बा ललिता महात्रिपुर सुंदरी…. श्रद्धा और आस्था से लबरेज भक्तों में रथ को खींचने की होड़… एक स्वर्ण रथ पर आश्रम के संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी गिरिजानंद सरस्वती ‘ भगवन ’ का चित्र एवं पादुका… मंगल कलशधारी महिलाएं… अश्वों पर सवार बालिकाओं के रूप में नौ देवियां और रथों पर विराजित देवी-देवताओं के श्रृंगार में नन्हे-मुन्ने बालक… वेद-वेदांग विद्यापीठ के 151 भूदेवों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार… सड़क के दोनों ओर मां के दर्शन के लिए आतुर भक्तों का सैलाब… ।विमानतल मार्ग स्थित श्री श्रीविद्याधाम के प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के सानिध्य में निकली भव्य शोभायात्रा का। आश्रम में दिनभर मां के मनोहारी श्रृंगार में अनेक वेदपाठी विद्वान जुटे रहे। रथ की साज-सज्जा भी गजब की थी। पूरे यात्रा मार्ग में भक्तों के बीच रथ को खींचने की होड़ लगी रही। भक्तों द्वारा जगह-जगह पुष्प वर्षा और स्वागत के कारण यात्रा को पुनः मंदिर पहुंचने में दो घंटे से अधिक का समय लग गया। आश्रम परिवार के सुरेश शाहरा, पं. दिनेश शर्मा, यदुनंदन माहेश्वरी, राजेन्द्र महाजन, संजय पंडित, सहित अनेक श्रद्धालु पूरे समय व्यवस्थाएं संभाले रहे।
यात्रा के समापन पर आश्रम के 21 विद्वानों ने आचार्य पं. राजेश शर्मा के निर्देशन में मां भगवती को अर्घ्य देकर पूजन-अभिषेक के बाद 56 भोग समर्पित किए गए। महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के सानिध्य में भगवती को विराजित किया गया। संध्या को 108 दीपों से महाआरती के दौरान आश्रम परिसर में पैर रखने की भी जगह नहीं थी। सुगंधित फूलों की वर्षा से आश्रम एवं मंदिर परिसर देर रात तक महकता रहा।

इंदौर। जगह-जगह पुष्प वर्षा और मां के जयघोष के बीच बैंड-बाजों, नगाड़ों और शहनाईयों की सुर लहरियों पर थिरकते श्रद्धालु… सुसज्जित रथ पर सवार स्वर्ण मुकुट एवं अन्य अभूषणों से अलंकृत मां पराम्बा ललिता महात्रिपुर सुंदरी…. श्रद्धा और आस्था से लबरेज भक्तों में रथ को खींचने की होड़… एक स्वर्ण रथ पर आश्रम के संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी गिरिजानंद सरस्वती ‘ भगवन ’ का चित्र एवं पादुका… मंगल कलशधारी महिलाएं… अश्वों पर सवार बालिकाओं के रूप में नौ देवियां और रथों पर विराजित देवी-देवताओं के श्रृंगार में नन्हे-मुन्ने बालक… वेद-वेदांग विद्यापीठ के 151 भूदेवों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार… सड़क के दोनों ओर मां के दर्शन के लिए आतुर भक्तों का सैलाब…
यह नजारा था विमानतल मार्ग स्थित श्री श्रीविद्याधाम के प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के सानिध्य में शनिवार शाम निकली भव्य शोभायात्रा का। आश्रम परिसर से प्रारंभ इस शोभायात्रा में भक्तों, विशेषकर महिलाओं का उत्साह देखते ही बनता था। यात्रा के पूर्व आश्रम में दिनभर मां के मनोहारी श्रृंगार में अनेक वेदपाठी विद्वान जुटे रहे। रथ की साज-सज्जा भी गजब की थी। पूरे यात्रा मार्ग में भक्तों के बीच रथ को खींचने की होड़ लगी रही। आश्रम से प्रारंभ यात्रा कान्यकुब्ज नगर, 60 फीट रोड, सुखदेव नगर, कालानी नगर चौराहे से विमानतल मार्ग होते हुए पुनः मंदिर पहुंची तो भक्तों के सैलाब ने मानों आश्रम परिसर को छोटा बना दिया। अंचल के अनेक संत और विद्वान भी इस उत्सव के साक्षी बने। भक्तों द्वारा जगह-जगह पुष्प वर्षा और स्वागत के कारण यात्रा को पुनः मंदिर पहुंचने में दो घंटे से अधिक का समय लग गया। आश्रम परिवार के सुरेश शाहरा, पं. दिनेश शर्मा, यदुनंदन माहेश्वरी, राजेन्द्र महाजन, संजय पंडित, चंदन तिवारी, रमेश पसारी, रमेशचंद्र राठौर सहित अनेक श्रद्धालु पूरे समय व्यवस्थाएं संभाले रहे।
यात्रा के समापन पर आश्रम के 21 विद्वानों ने आचार्य पं. राजेश शर्मा के निर्देशन में मां भगवती को अर्घ्य देकर पूजन-अभिषेक के बाद 56 भोग समर्पित किए गए। महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के सानिध्य में भगवती को विराजित किया गया। संध्या को 108 दीपों से महाआरती के दौरान आश्रम परिसर में पैर रखने की भी जगह नहीं थी। सुगंधित फूलों की वर्षा से आश्रम एवं मंदिर परिसर देर रात तक महकता रहा।
आज चार मंजिला पुष्प बंगले के दर्शन – मां भगवती के आठ मंजिला मनोहारी पुष्प बंगले में दर्शन के साथ होगा। मंदिर के स्थापना दिवस के मौके पर मां पराम्बा ललिता महात्रिपुर सुंदरी के लिए वृंदावन से आए 10 कलाकारों द्वारा मनोहारी पुष्प बंगले का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें लिलियम, आर्केड, अंथोरियम, कार्नेशन, डचगुलाब, अशोक एवं केलों के पत्तों सहित करीब पांच क्विंटल प्राकृतिक सुगंधित फूलों का प्रयोग किया जा रहा है। प्रख्यात पुष्प सज्जाकार दीपक कुसुमाकर के मार्गदर्शन में यह अनूठा पुष्प बंगला श्रृंगारित किया जा रहा है। इस पुष्प महल में लकड़ी, कांच की नक्काशी, रेशमी वस्त्रों का भी उपयोग हुआ है। करीब दस क्विंटल फूलों का प्रयोग इस पुष्प बंगले में होगा। इसके पूर्व अभिजीत मुहूर्त में आश्रम पर चल रहे महायज्ञ की पूर्णाहुति सहित पहले दिन से चल रहे विभिन्न अनुष्ठानों का भी विराम होगा। पुष्प बंगले के दर्शन हेतु भक्तों की सुविधा के लिए परिसर में समुचित प्रबंध किए गए हैं, ताकि कतारबद्ध दर्शन के दौरान भक्तों को किसी तरह की असुविधा न हो।

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