सेंधवा। पुण्य से सदबुद्वि आती है और पाप करने से र्दुबुद्वि आती है

सेंधवा। ये जीवन मौके कम ओर धोखे ज्यादा देता है। इसलिये जीवन में सदैव पुण्य की खेती करते रहो। पुण्य से सदबुद्वि आती है और पाप करने से र्दुबुद्वि आती है । पुण्य हमारा सुरक्षा कवच है यह हमारी सुरक्षा करता है ।
ये विचार आज देवी अहिल्या मार्ग स्थित जैन स्थानक में आचार्य विजयराजजी म.सा के आज्ञानुवर्ती रेखाजी म.सा ने व्यक्त किये आपने कहा कि हमे कर्म निर्जरा के लिये धर्म के तहखाने मे उतरना होगा यदि हम केवल दुसरो को देखने में लगे है तो यह मानकर चलना हम धर्म को समझे ही नही है, धर्म स्व का दर्शन कराता है। धर्म दुर्जन को सज्जन को मुनिम को मुनी बना देता है । आपने 4 प्रकार के आध्यात्मिक माइलस्टोन के बारे में समझाते हुवे कहा कि ये आध्यात्मिक माइलस्टोन को जानना एवं समझना हमारे जीवन के लिये अति आवश्यक है पहला पाप कभी माफ नहीं करता, दुसरा पुण्य कभी साफ नहीं करता, तीसरा झुठ कभी इंसाफ नहीं करता और चौथा धर्म कभी मुड ऑफ नहीं करता । इन बातों को समझ कर जीवन में उतारना जरूरी है।
दुविधा, दरिद्रता, दुर्भाग्य एवं र्दुगति देता है पाप –
रेखाजी मसा ने कहा कि पाप हमे केवल सुन्दर जीवन जीने का प्रलोभन देता है पर वास्तविकता में ऐसा नहीं है। ज्ञानी जन फरमाते है कि पाप हमेशा पांच बाते देेकर जाता है दुख, दुविधा, दरिद्रता, दुर्भाग्य एवं र्दुगति । यदि हम जीवन में थोडा भी धर्म कर रहे है तो हमारे जीवन परिवर्तन आना चाहिए जो क्रोध, अंहकार व द्वेष हमारे अंदर भरा पडा था क्या आज भी उतना ही कर रहे है यदि ऐसा है तो हम धर्म मार्ग में कहा है यह चिन्तन करने का विषय है ।
यह रहे मौजूद-उक्त धर्मसभा मे घेवरचंद बुरड, बी.एल. जैन, छोटेलाल जोगड़, नंदलाल बुरड़, के.सी. पालीवाल, महेष मित्तल, प्रकाश सुराणा, अषोक सकलेचा, प्रेमचंद सुराणा, राजेन्द्र कांकरिया, महावीर सुराणा, परेश सेठिया, तेजस शाह, मितेश बोकड़िया, भुषण जैन, मनिष बुरड, सहित अनेक श्रावक-श्राविकाऐं उपस्थित थे।