भोपाल। आज देर रात या कल जारी हो सकती है जिलाध्यक्ष की सूची, नेताओ में मची खलबली, अपने चहिते के लिए कुर्सी का जोर।

बड़े नेता अपने पट्ठो को बैठने के लिए मैदान में बना रहे दबाव जिसके कारण रुके भाजपा जिला अध्यक्षों के नाम
भोपाल। आशीष यादव। अगर इस वक्त बाजार में सबसे गर्म हवा किसी की चल रही है तो वह जिला अध्यक्ष के नाम को लेकर शहर में चल रही है। पिछले दो-तीन दिनों से उठा पटक के बीच अपने खास को जिला अध्यक्ष बनने के लिए कई नेता मैदान पकड़े हुए हैं। वही जिला अध्यक्षों की नियुक्ति करने को लेकर जिलो के साथ प्रदेश में भाजपा में जारी घमासान और बढ़ गया है। बडे जिलो के साथ छोटे जिलो में जुट बाजी देखी जा रही है। जिले के कहि कोई बड़े नेता अपने गुर्गों को जिला अध्यक्ष बनाने के लिए मैदान पकड़कर दिल्ली में डेरा डाले बैठे हुए हैं वही महानगर ग्वालियर, भोपाल, इंदौर और जबलपुर के दिग्गज नेताओं के साथ धार, सागर देवास बड़वानी जैसे जिलो में भी जिलाध्यक्ष के लिए बड़ी फजीयत चल रही है। हर कोई अपने वोला को जिला अध्यक्ष बनाने में लगे है। बड़े भाजपा नेताओं अभी पावर में हैं जहां से प्रमुख नेताओं ने एक-एक नाम भेजा है। ये चाहते हैं कि उनके भेजे नाम किसी भी कीमत पर न कटे। कोई एक-दूसरे के नामों पर सहमति देने को भी तैयार नहीं है। आज भी भाजपा पार्टी में प्रदेश भर में हर जिले में एक भीष्म पितामाह बनकर बैठे हैं जो सैया से अपनी अपने सेना को जीतने के लिए देख रहे है। अब सोमवार रात तक सूची आ सकती है, लेकिन विवाद वाले जिले छूट जाएंगे।
आज या कल में हौगी सूची
पहले 5 जनवरी तक जिलाध्यक्ष किं लिस्ट आने की बात चल रही थी वही बाद में कही बड़े नेताओं के करीबियों को लेकर बने दबाव के कारण सूची लेट हुई है अभी पुराने नेताओ अपने पट्ठावाद के चलते युवाओं और काम करने वाले नेताओ का नंबर नही आने देते है। जिसके कारण आज या कल लिस्ट जारी ह्यो सकती है इसबार दिल्ली दरबार मे नेताओ को जी हुजूरी करनी पड़ रही है। सोमवार को एक बार फिर नामों को फाइनल करने की कवायद हो रही है। यदि सबकुछ ठीक रहा तो पहली सूची सोमवार देर रात या फिर मंगलवार को आ सकती है। यह भी बताया गया है। कही जिलाध्यक्षों के नामों को लेकर कशमकश चल रही है। सभी पक्षों से बात के बाद निर्णय होगा पहली लिस्ट के 35 से 40 जिलों के अध्यक्षों के नाम घोषित होने की संभावना है। जिन जिलों में अभी सहमति नहीं बन पाई है, उनके नामों पर दोबारा मंथन के बाद अलग से जारी किया जाएगा।
10 के बाद आएंगे धर्मेंद्र प्रधान
जिलाध्यक्षों के नाम घोषित होने के ठीक बाद प्रदेशाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। मप्र में प्रदेशाध्यक्ष चुनाव के लिए भाजपा ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रदान को जिम्मेदारी सौंपी है। प्रधान का 10 से 15 जनवरी के बीच भोपाल दौरा प्रस्तावित है। केंद्रीय संगठन के चुनाव के लिए कम से कम 50 फीसदी राज्यों में संगठन की चुनाव प्रक्रिया पूरी की जानी है। भाजपा का 15 जनवरी तक मप्र के अलावा महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, बंगाल और झारखंड में प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव प्रक्रिया पूरी करने की तैयारी है।
एजेंसी के जरिए नेताओ की कुंडली खंगाली
प्रदेश के सभी जिलों से कौन-कौन दावेदार नेता मैदान में है। इसको लेकर नेताओं की एक कुंडली निजी एजेंसी द्वारा खंगाली गई थी। वही पार्टी के कुनबे और नेताओं के प्रति जनता में बनती खराब छवि को लेकर काफी सतर्कता बरत रही है, इसलिए पदाधिकारियों की नियुक्ति में भी एहतियात बरती जा रही है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर एक प्राइवेट एजेंसी के जरिए हर जिले के पैनल में शामिल नेताओं की प्रोफाइल व उनके कार्य की जांच करवाई गई है। इसमें उनकी निवास स्थान के आस-पड़ोस में छवि, आपराधिक पृष्ठभूमि समेत कई बातों की जांच करवाई। यदि किसी का नाम आखिर में कटता है, तो इसके पीछे की वजह एजेंसी द्वारा दी गई जानकारी रहेगी।
दौड़ से बाहर नहीं हो रहे मौजूदा अध्यक्ष
संगठन ने एक लाइन में कह दिया है कि जिन जिला अध्यक्षों को पांच साल का कार्यकाल पूरा हो गया है, उन्हें दोबारा जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी। तब भी सूत्रों के मुताबिक कही जिला अध्यक्ष बहार का रास्ता दिखना पड़ेगा। वही अभी एक से अधिक साल वाले जिलाध्यक्ष की दौड़ में रहेंगे या नही इसका फैसला पार्टी करेगी वही धार झाबुआ व अन्य जिलों के कार्यकाल अभी बाकी है इस लिए वह भी अपने आप को दौड़ में माना रहे हैं।
धार से यह नाम चर्चा में- वही धार से विश्वास पांडे व प्रकाश धाकड़, उमेश गुप्ता, दिलीप पटोदिया, मुकाम सिह किराड़े दावेदार है
चर्चा तो यह भी है,
संघ नाराज
1.मुताबिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से सुझाए गए नामों को भी दिग्गज नेताओं की आपसी खींचतान के चलते नजर अंदाज किया जा रहा है। इसकी वजह से संघ नाराज चल रहा है।
2.इसलिए भी नही चाहते
वरिष्ठ नेता चाहते हैं कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के रहते उनके प्रभाव वाले जिलों के अध्यक्षों की सूची जारी न हो, ताकि नए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से मर्जी का अध्यक्ष बनवा सकें।



