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इंदौर में लोकोत्सव 2024 का शानदार आगाज़, कला एवं शिल्प का होगा अनूठा संगम

बच्चों के लिए मनोरंजन झूले, खेल, और बच्चों के लिए विशेष कार्यशालाएं और शिल्पकारों, रसोइयों और कलाकारों द्वारा कला,

इंदौर, । कला और संस्कृति को सहेजने के लिए अनंत जीवन शोध समिति के महत्वपूर्ण मंच लोकोत्सव शानदार आगाज़ हुआ। लालबाग पैलेस में आयोजित यह कार्यक्रम भारत के विभिन्न राज्यों के प्रसिद्ध शिल्पकारों, कलाकारों और व्यंजनों को एक मंच पर लेकर आया है। इस महोत्सव का उद्घाटन भारत सरकार के कार्यालय विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) वस्त्र मंत्रालय की सहायक निदेशक मा. श्रीमती अर्पणा देशमुख द्वारा किया गया। कला, संस्कृति और परंपरा का अद्वितीय 31 दिसंबर 2024 तक प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से रात 10 बजे तक कलाप्रेमियों को लुभाएगा।

भारत सरकार के कार्यालय विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) वस्त्र मंत्रालय की सहायक निदेशक मा. श्रीमती अर्पणा देशमुख ने कहा, “कला के क्षेत्र में ऐसे आयोजन देख कर हमेशा ही हर्ष होता है। मुझे खुशी है कि इतने वृहद स्तर पर इस कार्यक्रम को आयोजित किया जा रहा है। यह कला, परम्परा और संस्कृति के लिए बहुत ही अहम है। भारत भर के व्यंजन, हस्तशिल्प, चित्रकला, और अन्य कलाकृतियों की प्रदर्शनी वाकई तारीफ के योग्य है। इस विशेष आयोजन में भाग ले रहे सभी कलाकारों को भी विशेष रूप से शुभकामनाएं। यह महोत्सव हम सभी के लिए अहम है।”

लोकोत्सव 2024 के आयोजक अनंत जीवन संस्था एवं शोध समिति, इंदौर की ओर से सुश्री ज्योति कुमरावत और श्री जय कुमरावत ने कहा, “लोकोत्सव 2024 के शुभारंभ के साथ हम कला क्षेत्र में नई इबारत लिख रहे हैं। हम इस महोत्सव में सभी मेहमानों का स्वागत करते हैं। 25 से 31 दिसंबर तक चलने वाले इस उत्सव में देशभर से आए प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा पारंपरिक नृत्य, संगीत और नाटकों के प्रदर्शन, हस्तशिल्प, लकड़ी के काम, जरी कढ़ाई, मिट्टी के बर्तन, और अन्य शिल्पकृतियों की प्रदर्शनी और बिक्री, भारत के विभिन्न क्षेत्रों के प्रसिद्ध व्यंजनों का स्वाद, जिसमें राजस्थानी, पंजाबी, दक्षिण भारतीय, और स्थानीय मालवी व्यंजन शामिल होंगे। हस्तशिल्प, चित्रकला, और अन्य कलाकृतियों की प्रदर्शनी, जो कला प्रेमियों के लिए एक खास अनुभव होगी। बच्चों के लिए मनोरंजन झूले, खेल, और बच्चों के लिए विशेष कार्यशालाएं और शिल्पकारों, रसोइयों और कलाकारों द्वारा कला, शिल्प और पाक-कला की बारीकियों पर विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे। यह उत्सव समाज को अपनी जड़ों से जोड़ने का प्रयास है।”

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