जगदगुरू शंकराचार्य का संतों और भक्तों से आव्हान –अपनी नई पौध को संस्कारों से समृद्ध बनाएं
हम शास्त्रों से भी जीते हैं और शस्त्रों से भी, एक हाथ में माला और दूसरे में भाला भी रखना जानते हैं अखंड धाम अ.भा. संत सम्मेलन में शंकराचार्य

दिलाई धर्मांतरण और लव जिहाद के खिलाफ बालिकाओं को शपथ
इंदौर । भारत शास्त्रों की भी भूमि हैं और शस्त्रों की भी। इतिहास गवाह है कि हम शास्त्रों से भी जीते हैं और शस्त्रों से भी। हम एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में भाला रखना भी जानते हैं। सनातन धर्म पर संकट के जो बादल मंडरा रहे हैं, वे ज्यादा दिनों तक नहीं रह पाएंगे। हमारी संस्कृति की जड़ें बहुत गहरी हैं। असंख्य हमलों के बाद भी हमारी संस्कृति सुरक्षित है, बल्कि इन हमलों ने सनातन संस्कृति को मजबूत ही बनाया है। हिन्दू सनातन धर्म सत्य और अहिंसा की बुनियाद पर टिका है। हमारी युवा पीढ़ी को संगठित होकर विधर्मियों के मंसूबों को समझकर उनका संगठित प्रतिकार करना होगा। जब तक हमारी नई पौध संस्कारों से समृद्ध नहीं बनेगी, तब तक हमें इस दिशा में सबसे अधिक ध्यान देना होगा।
ये दिव्य और ओजस्वी विचार हैं जगदगुरू शंकराचार्य, भानपुरा पीठाधीश्वर स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ के, जो उन्होंने गुरूवार को बिजासन रोड स्थित अविनाशी अखंड धाम आश्रम पर चल रहे 57वें अ.भा. अखंड वेदांत संत सम्मेलन की धर्मसभा में व्यक्त किए। संत सम्मेलन में आज का दिन धर्मांतरण को रोकने और लव जिहाद के खिलाफ शपथ लेने का तो रहा ही, शंकराचार्यजी की मौजूदगी में दो नन्हीं बालिकाओं नैनसी और पीहू ने सम्मेलन के मंच पर तलवारबाजी का शानदार प्रदर्शन भी किया, जिसे हजारों भक्तों के साथ शंकराचार्यजी ने भी खुले मन से सराहा। इन बालिकाओं को प्रशिक्षण देने वाले अनुज और अंकित यादव का शंकराचार्यजी ने सम्मान भी किया।
सारंगपुर से आई साध्वी अर्चना दुबे और समाजसेवी माला ठाकुर के साथ अ.भा. महिला मराठा महासंघ की अध्यक्ष श्रीमती स्वाति काशिद ने भी बालिकाओं को लव जिहाद, धर्मांतरण एवं विधर्मियों द्वारा किए जाने वाले हथकंडों के प्रति प्रभावी अंदाज में सजग किया। तीनों महिला वक्ताओं ने बालिकाओं को लव जिहाद की प्रवृत्ति की रोकथाम और अपनी सुरक्षा स्वयं करने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स भी दिए। शिक्षक श्रीमती गायत्री शुक्ला, समाजसेवी बालकृष्ण छावछरिया, गोपाल दुर्गाप्रसाद अग्रवाल भी इस मौके पर विशेष रूप से उपस्थित थे। प्रारंभ में आश्रम के महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी चेतन स्वरूप, अध्यक्ष हरि अग्रवाल, संयोजक किशोर गोयल, भावेश दवे, सचिन सांखला, अशोक गोयल, आदित्य सांखला, राजेन्द्र सोनी, रणधीर दग्धी, शंकरलाल वर्मा, विनय जैन, मुरलीधर धामानी, परीक्षित पंवार, मोनू जोशी, पंकज जोशी, मुन्ना शाह, राधेश्याम अग्रवाल आदि ने शंकराचार्यजी एवं अन्य सभी संतों का स्वागत किया। महिला मंडल की ओर से सुश्री किरण ओझा, डॉ. रुपाली दुबे, ज्योति श्रीवास्तव, उमा गोयल, हंसा अग्रवाल आदि ने शंकराचार्यजी पर पुष्प वर्षा कर उनकी अगवानी की।
*किसने क्या कहा* – संत सम्मेलन में श्रीमती स्वाति काशिद ने कहा कि हमारा देश मातृशक्तियों के नाम से जाना जाता है। आज देश में जो हालात हैं, उन्हें देखते हुए इन नन्हीं बालिकाओं को स्वयं को अपनी सुरक्षा पर ध्यान देने की सख्त जरूरत है। विधर्मी लोग एक सोचे-समझे गए षडयंत्र के तहत हमारी फूल जैसी बेटियों को अपने कुचक्र में उलझाकर उनका जीवन बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। इनसे सावधानी रहने की सख्त जरूरत है। इस स्थिति में हमें अपनी सुरक्षा के लिए वे सभी साधन अपनाना चाहिए, जो सहज रूप से हमारे आसपास उपलब्ध हैं। सारंगपुर से आई साध्वी अर्चना दुबे ने कहा कि स्कूली बेटियों को माथे पर बिंदिया और पैरों में पायल जरूर पहनना चाहिए। बिंदी लगाने से हमारा आज्ञा चक्र सक्रिय होकर मन को एकाग्र बनाता है। उन्होंने विस्तार से समझाया कि किस तरह मुस्लिम ताकतें हमारी मासूम बेटियों को उलझाकर उनका जीवन बर्बाद कर रही है। इनसे मुकाबले के लिए हमें राईट, फाईट, नाईट और काईट – इन चार फार्मूलों पर अमल करना होगा। राईट अर्थात सही और गलत का फैसला हमें करा है। फाइट मतलब हमारी रक्षा के लिए हमें फाइट करना होगी। नाईट में रात में कहीं भी अकेले जाएं तो जिस वाहन से जाएं उसका फोटो खींचकर घरवालों को नंबर और फोटो जरूर भेज दें। काईट मतलब पतंग जैसा जीवन जाए जो आकाश में तो अपनी मर्जी से कुलांचे भरती हैं, लेकिन उनकी बागडोर हमारे हाथों में ही होती है। समाजसेवी माला ठाकुर ने भी अनेक उदाहरणों के माध्यम से बताया कि लव जिहाद कोई साधारण बात नहीं, बल्कि एक बहुत बड़े षडयंत्र का हिस्सा है, जो सारे देश में बड़े तरीके से रचा गया है। हमारी बेटियों को पूरी तरह सावधान रहकर इसका मुकाबला करना होगा। जगदगुरू शंकराचार्यजी ने नन्हीं बालिकाओं द्वारा तलवारबाजी के प्रदर्शन की प्रशंसा करते हुए करतल ध्वनि से स्वागत किया, बल्कि उनके प्रशिक्षकों का भी पुष्प माला पहनाकर सम्मान किया। उन्होंने सभी संतों और भक्तों का आव्हान किया कि वे जहां कहीं इस तरह की कारस्तानियां देखें या सुनें, उन्हें उचित मंच पर उठाएं और सबका ध्यानाकर्षण करें। सनातन धर्म पर कभी कोई आंच नहीं आ सकती। संत सम्मेलन में स्वामी नारायणनानंद, रतलाम के महामंडलेश्वर स्वामी देवस्वरूप, डाकोर के वेदांताचार्य स्वामी देवकीनंदनदास, वृंदावन के स्वामी जगदीश्वरानंद, हरिद्वार से आए स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती एवं संत राजानंद ने भी अपने विचार व्यक्त किए। आज सम्मेलन में पूरे समय धर्मांतरण और लव जिहाद के प्रति जबर्दस्त आक्रोश देखा गया। संचालन हरि अग्रवाल एवं स्वामी नारायणानंद ने किया।
*आज के कार्यक्रम*-अखंड धाम पर चल रहे 57वें अ.भा. अखंड वेदांत संत सम्मेलन के छठे दिन 20दिसंबर को जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद महाराज की अध्यक्षता में दोपहर 3 बजे से महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी चेतन स्वरूप के सानिध्य में वृंदावन से आए स्वामी जगदीश्वरानंद, हरिद्वार से आए महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती, रतलाम से आए महामंडलेश्वर स्वामी देवस्वरूप, चौबारा जागीर के स्वामी नारायणानंद, सारंगपुर की साध्वी अर्चना दुबे, स्वामी परमानंद, संत राजानंद एवं अन्य संत विद्वानों के प्रवचनों की अमृत वर्षा होगी।



