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अहिल्या माता गोशाला पर सैकड़ों भक्तों ने की लड्डूगोपाल के साथ सप्त गोमाता मंदिर की परिक्रमा

गोवंश को समर्पित किए गए 56 भोग – सुबह से दोपहर तक लगा रहा गो भक्तों का मेला

इंदौर,। केशरबाग रोड़ स्थित प्राचीन अहिल्या माता गोशाला पर शनिवार को अनेक गो भक्तों ने अपने घरों और मंदिरों से लड्डू गोपाल की प्रतिमाएं लाकर गोशाला परिसर स्थित सप्त गो माता मंदिर एवं गो माता की परिक्रमा की। सैकड़ों भक्तों ने सुबह से दोपहर तक गोपाष्टमी के उपलक्ष्य में गोसेवा एवं गो पूजन का पुण्य लाभ उठाया। समाजसेवी पवन सिंघानिया मोयरा के आतिथ्य में गोवंश को हरी सब्जी, फल एवं अन्य व्यंजनों सहित 56 भोग समर्पित किए गए।
गोशाला प्रबंध समिति के मंत्री पुष्पेन्द्र धनोतिया एवं संयोजक सी.के. अग्रवाल ने बताया कि गोपाष्टमी के अवसर पर गोशाला स्थित सभी गायों को विशेष रूप से श्रृंगारित किया गया था। आचार्य पं. मुकेश शास्त्री के निर्देशन में विद्वान पंडितों ने विधि-विधान से मंत्रोच्चार के बीच गाय-बछड़े का पूजन संपन्न कराया। गो भक्तों में बचपन से पचपन तक के के करीब चार हजार बालक, युवा एवं बुजुर्ग शामिल थे। समाजसेवी ओमप्रकाश पसारी, रामविलास राठी सहित अनेक विशिष्टजन भी शामिल हुए। महिलाओं ने गोमाता की आरती के साथ ही भजन भी गाए। अनेक स्कूली बच्चों ने भी आज गोशाला पहुंचकर गोसेवा की। दोपहर तक गो भक्तों का मेला जुटा रहा। समाजसेवी पवन सिंघानिया ने पूरी गोशाला का भ्रमण किया और यहां की व्यवस्थाओं को समझकर गोशाला की प्रगति में हरसंभव सहयोग देने का संकल्प भी व्यक्त किया।
सबसे प्रमुख आकर्षण था लड्डू गोपाल द्वारा सप्त गोमाता मंदिर की परिक्रमा का। गोशाला की ओर से गो भक्तों से आग्रह किया गया था कि वे अपने घरों के मंदिरों के लड्डू गोपाल की प्रतिमाएं लेकर गोशाला आएं और सप्त गो माता मंदिर की परिक्रमा करें। इस आव्हान के फलस्वरूप कोई 200 से अधिक गो भक्तों ने लड्डू गोपाल के साथ मंदिर एवं गो माता की परिक्रमा की। अनेक गो भक्तों ने गोशाला में आकर जैविक खाद, गोमूत्र अर्क एवं विभिन्न औषधियां भी खरीदी और आधुनिक मशीन से अपने आभा मंडल का परीक्षण भी कराया। कुछ बच्चों और गो भक्तों ने तो अपना जन्मदिन भी गोसेवा के साथ मनाया। अनेक भक्तों ने तुलादान भी किया। गोपाष्टमी के उपलक्ष्य में आज गो पूजन के साथ ही कुंभकार स्टाल, कांसा पद्धति से उपचार, पंचगव्य पदार्थों के स्टाल, गो सानिध्य में गर्भ संस्कार की परिचर्चा जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। सैकड़ों श्रद्धालु अपने-अपने घरों से छप्पन भोग भी बनाकर लाए थे, जो गोवंश को समर्पित किए गए।

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