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बड़वाह। बाल स्वरूप में मां जयंती के दर्शन…एक दिन पहले मां ने छोड़ा था चौला… पंडित बोले मां ने 1918 में दिए थे ऐसे दर्शन…

कपिल वर्मा बड़वाह। शहर से तीन किलोमीटर दूर वन क्षेत्र में स्थित मां जयंती का मंगलवार सुबह करीब चार बजे अपना नवीन चौला छोड़ दिया था। जिसके बाद मंदिर के गर्भगृह को पर्दे से बन्द कर प्रात काल होने वाली आरती बाहर से गई थी। इस दौरान पूरे दिन श्रद्धालुओं ने बाहर से माता जी चित्र के दर्शन कर लाभ लिए। देर शाम को आचार्य पंडित चंद्रप्रकाश शास्त्री के सानिध्य में माता जी की विधि विधान से पूजन हवन कर पाठ खोले गए।

इस दौरान पंडित शास्त्री ने बताया की सोमवार को मां भगवती प्रेमबिका जयंती ने अपना चौला छोड़ा था। मैने भी पहले सुना था की सन् 1918 में ऐसा पहले चौला छोड़ा था। भगवती चार भुजा के रूप में मौजूद हैं। एक हाथ में खड़ग, एक हाथ में खप्पर, एक हाथ में ढाल हैं भगवती के, पद्मासन में मां भगवती अष्ठ कमल पुष्प पर विराजमान हैं। पंडित रामस्वरूप शर्मा, महेंद्र शर्मा, दीपक शर्मा एवं अन्य विद्वानों ने मिलकर बहुत सुंदर मां का आकार दिया हैं। गाय के देशी घी से मां भगवती का लेप किया हैं। इसके बाद सिंदूर से भगवती का चौला चढ़ाया गया।

नवीन वस्त्र धारण कर के एवं पुष्प हार इत्यादि धारण कराया गया हैं। इसी के साथ पंडित शास्त्री ने बताया की एक तरह से यह शहरवासियों के लिए शुभ संकेत हैं। लेकिन दूसरे भाव में जाए तो नगर में कोई दूसरा संकट का संकेत था जो मां ने अपने ऊपर लिया हैं।

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