इंदौरधर्म-ज्योतिषमध्यप्रदेश

भारत भूमि जैसी विलक्षण भूमि दुनिया में कहीं और नहीं

राम और कृष्ण के बिना भारत भूमि की पहचान संभव ही नहीं–भास्करानंद

गोयल पारमार्थिक ट्रस्ट और रामदेव मन्नालाल चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा धूमधाम से मनाया गया कृष्ण जन्मोत्सव

इंदौर, । भारत भूमि जैसी विलक्षण भूमि दुनिया में कहीं और नहीं है। दुनिया के किसी भी देश में इतने त्योहार और अवतार नहीं हुए हैं पश्चिमी देशों में सूर्योदय बाद में होता है, भारत में पहले। पश्चिम की संस्कृति डूबते हुए सूरज की है। राम और कृष्ण इस पावन धरा के प्राण तत्व हैं, जिनके बिना हमारी परंपराएं, संस्कार और संस्कृति भी अधूरे हैं। राम-कृष्ण के बिना हमारी संस्कृति की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद के, जो उन्होंने मनोरमागंज स्थित गीता भवन पर गोयल पारमार्थिक ट्रस्ट और रामदेव मन्नालाल चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के दौरान व्यक्त किए। कथा का यह आयोजन समाजसेवी मन्नालाल गोयल और मातुश्री चमेलीदेवी गोयल की पुण्य स्मृति में किया जा रहा है। कथा में भगवान राम और कृष्ण का जन्मोत्सव उत्सव धूमधाम से मनाया गया। कथा स्थल को माखन की मटकियों, फूलों और गुब्बारों से श्रृंगारित किया गया था। जैसे ही कथा प्रसंगानुसार भगवान कृष्ण का जन्म प्रसंग आया, समूचा सभागृह नंद में आनंद भयो जय कन्हैयालाल की भजन पर थिरक उठे। एक-दूसरे को भगवान के जन्मोत्सव की बधाई देने हेतु गुलाब के फूलों से लेकर माखन-मिश्री की वर्षा भी हुई। सभागृह में मौजूद सभी श्रद्धालु भगवान के जन्म की एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़े। इसके पूर्व शुभारंभ अवसर पर प्रेमचंद –कनकलता गोयल, विजय-कृष्णा गोयल एवं निधि-आनंद गोयल ने व्यासपीठ का पूजन किया। साध्वी कृष्णानंद ने अपने मनोहारी भजनों से भक्तों को भाव विभोर बनाए रखा। अनेक श्रद्धालु भजनों पर थिरक रहे हैं।
विद्वान वक्ता ने कहा कि भारत वेद-पुराणों, धर्म गुरुओं, ऋषि-मुनियों और अवतारों की भी भूमि है। जितने अवतार भारत भूमि पर हुए हैं, उतने दुनिया के किसी अन्य देश में नहीं हुए। राम और कृष्ण के बिना भारतीय धर्म और संस्कृति का पालन संभव नहीं है। भारतीय समाज मर्यादाओं और परम्पराओं की बुनियाद पर खड़ा है। राम भारत के रोम-रोम में बसे हैं तो कृष्ण भी इस भूमि के कण-कण में मौजूद है। राम और कृष्ण के बिना भारत की पहचान संभव ही नहीं है।

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