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जल संरक्षण के लिए कदम नहीं उठे तो मध्य प्रदेश भी हो जाएगा बे -पानी-भारत के जलपुरुष”  डॉ. राजेंद्र

धरती को बुखार है मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है

धरती को बुखार है मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है आईआईएसटी समूह में  “भारत के जलपुरुष”  डॉ. राजेंद्र सिंह, का 

इंदौर  पानी के मामले में मध्य प्रदेश भी डेंजर जोन में है अगर जल संरक्षण के लिए ठोस खत्म नहीं उठाए गए तो मध्य प्रदेश भी बे पानी होकर उसे स्थिति में पहुंच जाएगा जिस स्थिति में   राजस्थान  था ।    ग्लोबल वार्मिंग के दौर में धरती को बुखार है और मौसम का मिजाज भी बिगड़ा हुआ है।
उपरोक्त विचार भारत के  जलपुरुष  डॉ राजेंद्र सिंह ने आई आई एस टी कॉलेज में जल संरक्षण पर  आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, स्टॉकहोम जल पुरस्कार और जमनालाल बजाज पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों के प्राप्तकर्ता डॉ. राजेंद्र सिंह ने सत्र के दौरान अपने ज्ञान और अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के क्रॉप पैटर्न को रेन पैटर्न से  जोड़ दिया जाए तो मध्य प्रदेश में फसल की पैदावार बढ़ जाएगी और वर्तमान में जितनी फसल ले रहे हैं वह केवल 40% पानी से ही ले सकेंगे । यही एक ऐसा फार्मूला है जिससे मध्य प्रदेश में पानी की कमी को पूरा कर फसलों का भी भरपूर उत्पादन लिया जा सकता है । उन्होंने कहा है कि आज किसी भी कॉलेज में स्टूडेंट्स को प्रकृति का संरक्षण नहीं सिखाया जाता जबकि प्रकृति का संरक्षण सबसे अहम  हैं । आज सभी लोग प्रकृति को कंट्रोल करने में लगे हैं यह भयवाह हैं  दुबई में आई बाढ़ ने यह बता दिया है कि अगर प्रक्रिती को कंट्रोल करने की कोशिश की तो वो और विकराल हो जाएगी । हम नेचर को कंट्रोल नहीं कर सकते हैं हम केवल प्रकृति के साथ जी कर ही समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं।   हमारे वेदों में भी प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन की बात कही गई है लेकिन वेदों की बातों को भी हमने भुला दिया है ।  हम रास्ता भटक चुके हैं । यही कारण है कि हम आए दिन प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहे हैं। ।  आज वर्तमान में सभी कॉलेजों में नेचर पर कंट्रोल और मैनेजमेंट का पाठ पढ़ाया जाता है जबकि प्रकृति का पोषण करने का पाठ नहीं पढ़ाया जाता है । पूरे देश में वाटर लिटरेसी मूवमेंट की आवश्यकता है ताकि आने वाली पीढ़ियां पाने के लिए तरसे नहीं।
इस विशेष सत्र की मेजबानी आईआईएसटी समूह के समूह सलाहकार श्री अरुण एस भटनागर आईआरएस ने की। । भटनागर ने जल संकट की विकरालता के विभिन्न पहलूओ पर विस्तृत जानकारी दी पिछले छह वर्षो से लगातार संस्थान में को ग्रीन वेव मूवमनेट का अभियान शुरु किया है जिसमें , वृक्षारोपण  । वाटर हार्वेष्टिंग, आर्गेनिक  फार्मिंग ,एग्रो फार्मिंग और नो प्लास्टिक जैसी योजनाओ का समावेश है ; इसके परिणामस्वरूप आई आई एस टी परिसर जल संसाधन में आत्मनिर्भर हुआ है।
कार्यक्रम में विशेष अतिथी के रूप में पद्मश्री भालू मोढ़े , मेडिकैप्स कॉलेज के चेयरमैन आरसी मित्तल एक्रोपोलिस ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट के चैयरमेन अशोक सोजतिया ,  ओरिएंटल यूनिवर्सिटी के चैयरमेनश्री गौरव ठकराल के साथ ही बड़ी संख्या में कॉलेज के  स्टूडेंट ,  फैकल्टी मेंबर और पर्यावरण के चिंतक मौजूद थे।  कार्यक्रम के अंत में आभारश्री अरुण एस भटनागर ने माना ।

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