खरगोनमध्यप्रदेश

हर्ष और खुशियों का त्यौहार गणगौर

निमाड़ में गणगौर पर्व की धूम

सत्याग्रह लाइव, भीकनगांव:- इन दिनों निमाड़ मालवा क्षैत्र में पवित्र त्यौहार गणगौर की धूम है। चैत्र मास की नवरात्रि में मनाया जाने वाला गणगौर पर्व निमाड़ मालवा क्षैत्र में बड़े ही हर्षोल्लास ओर धूमधाम से मनाया जाता है। भीकनगांव ओर महेश्वर मे यह गणगौर पर्व कुछ विशेष अंदाज मे बड़े ही हर्षोल्लास ओर धूमधाम से मनाया जाता है।

सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव द्वारा माता पार्वती को अपनाने के बाद माता पार्वती के परिवार ने भगवान शिव के साथ माता पार्वती को गाजे-बाजे के साथ विदा किया था। पुराणों में वर्णित है कि माता पार्वती ने 15 दिनों तक कठिन तपस्या कर भगवान महादेव को प्रसन्न किया था। इसी मान्यता अनुसार निमाड़ मालवा में मनाए जाने वाले इस गणगौर के त्यौहार में धणियर को भगवान शिव व गणगौर को माता पार्वती का प्रतीक माना जाता है। गणगौर पर्व के दौरान विवाहित, नवविवाहित व अविवाहित महिलाएं गणगौर की पूजा करती हैं। 09 दिनो तक चलने वाले माता गणगौर के पर्व में 09 वें दिन बौड़ाने अर्थात (एक दिन मान-मनौव्वल कर रोकने) की भी परंपरा है जिसमें मन्नतें पूरी करने के लिए सामुहिक अथवा व्यक्तिगत रूप से आयोजन कर माता गणगौर के रथों को ले जाकर उत्सव मनाते हैं इस दौरान साज-सज्जा तथा भोजन प्रसादी के भंडारों का आयोजन भी किया जाता है।

जानें क्या है गणगौर की कहानी

निमाड़ मालवा क्षैत्र के अलग-अलग जिलों में अलग-अलग विधि विधान के अनुसार गणगौर का त्यौहार मनाया जाता है। खरगोन जिले के भीकनगांव तथा महेश्वर में गणगौर सबसे अधिक प्रसिद्ध है। आइए जानते हैं कि गणगौर की कहानी क्या है?

निमाड़ मालवा क्षैत्र में गणगौर का त्यौहार बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है,। निमाड़ क्षेत्र में चैत्र कृष्ण पक्ष की दशमी या एकादशी तिथि से शुरू होने वाला यह गणगौर का त्यौहार शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि तक चलता है। अनोखी परंपराओं को सजोए हुए यह त्योहार निमाड़ मालवा क्षैत्र के कई इलाकों में 09 दिन तक हर गांव शहर में बड़े ही हर्षोल्लास ओर धूमधाम से मनाया जाता है। गांव शहर में एक ही पवित्र स्थान पर पहले दिन महिलाएं बांस की छोटी छोटी टोकरियों में पवित्र स्थान से मिट्टी लाकर गेंहू को दशमी तिथि के दिन रोपा जाता है इस स्थान को माता जी की बाड़ी कहा जाता है विद्वान पंडित की देखरेख में इन बड़े ही श्रद्धा भाव से शुद्ध पानी से 7 दिनों तक अर्थात तृतीया तिथि तक जवारे तैयार किए जाते हैं जिसे गणगौर माता तथा बांस के बड़े ठोकरें में रोपे गए जवारों को धनियर राजा का स्वरूप माना जाता है। इन 07 दिनों तक गांव शहर की महिलाएं माता की बाड़ी पर जाकर गणगौर माता के गीत गाकर नाचती गाती है। शुक्ल पक्ष की तृतीया अर्थात तीज के दिन इन टोकरियों में रोपे गए गेहूं के ज्वारों को माता की बाडी से पुजा अर्चना कर सजे धजे गणगौर के रथों में रखकर पति पत्नी के साथ पल्लू बांधकर अपने अपने घर ले जाते हैं। माता गणगौर को घर ले जाकर गांव के सभी लोग शाम को बावड़ी पर शुद्ध जल पिलाने लाते हैं ओर फिर अपने अपने घर पर वापस ले जाकर पुजा अर्चना के साथ धूमधाम से नाच-गाना करते हैं। अगले दिन तीज की शाम को परंपरागत रूप से बावड़ियों , तालाब या नदियों में माता जी का विसर्जन किया जाता है।
विसर्जन के दिन माता गणगौर को मनाकर वापस लाने मतलब बौड़ाने की परंपरा भी बहुत प्रचलित हुई है। लोग मन्नतें पूरी करने के लिए माता गणगौर ओर धणियर राजा को स्वागत सत्कार करने के लिए एक दिन के लिए अपने घर ले जाते हैं ओर उत्सव के रूप मे नाच-गाना ओर भोजन प्रसादी के भंडारों का आयोजन करते हैं।

क्या है गणगौर त्यौहार की कहानी

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती भगवान शिव को अपना पति मानती थी। जिसके बाद माता पार्वती ने भगवान शिव की प्रतिमा बनाकर उनके सामने 15 दिन तक कठोर तपस्या की थी। इसके बाद 16वें दिन भगवान शिव माता पार्वती की निष्ठा और तपस्या से प्रसन्न होकर उनके सामने प्रकट हुए और माता पार्वती को अपनी पत्नी माना। भगवान शिव द्वारा माता पार्वती को अपनाने के बाद गाजे-बाजे के साथ माता पार्वती के परिवार ने भगवान शिव के साथ उनको विदा किया था। बड़े ही हर्षोल्लास ओर धूमधाम से मनाए जाने वाले इस गणगौर के त्यौहार में ईशर को भगवान शिव व गणगौर को माता पार्वती का प्रतीक माना जाता है।

गणगौर का महत्व

विवाहित, नवविवाहित व अविवाहित महिलाएं गणगौर की पूजा करती हैं। इस पर्व को लेकर मान्यता है कि विवाहित व नव विवाहित महिलाएं अगर भगवान शिव और माता पार्वती के प्रतीक ईशर और गणगौर की पूजा अर्चना करती हैं, तो उनके पति की उम्र लंबी होती है। वहीं अगर अविवाहित महिलाएं यह त्यौहार मनाती हैं, तो उन्हें भगवान शिव जैसा पति मिलता है।

खरगोन जिले के भीकनगांँव में गणगौर पर्व पर इस बार उज्जैन के चंद्रमौलेश्वर महाकाल बाबा एवं हरशिद्धि माता स्वरूप में सजे धनियर राजा एवं रणुमाता आकर्षण का केंद्र है। लोग इस स्वरूप को अपने अपने मोबाइल में तस्वीरें केद कर खुब सोसल मीडिया पर स्टेटस डालकर खुब वायरल कर रहे है

हाऊसिंग बोर्ड कालोनी गणगौर उत्सव समिति को दोबारा मिला माता गणगौर को बौडाने का सौभाग्य

भीकनगांव में इस बार हाऊसिंग बोर्ड कालोनी गणगौर उत्सव समिति को दोबारा माता गणगौर को बौडाने का सौभाग्य मिला है । समिति द्वारा विशेष सजावट करते हुए करीब 25000 लोगों के  भंडारे में बैठकर भोजन प्रसादी ग्रहण करने की व्यवस्था की है।

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