सेंधवा; अर्थ और काम प्रारब्ध से ही प्राप्त हो सकते है-आदित्य प्रकाश त्रिपाठी

सेंधवा। हर व्यक्ति जीवन में चार फल प्राप्त करना चाहता है। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष पर चारों फल प्राप्त करने का जो साधन है, वह प्रारब्ध और पुरुषार्थ है। बिना इन रास्तों पर चले यह फल प्राप्त नहीं होते। व्यक्ति चल भी इन्हीं दोनों रास्तों पर रहा है, पर चलने का तरीका क्या है, उक्त बात आचार्य आदित्य त्रिपाठी ने अग्रवाल कॉलोनी स्थित चैतन्य महादेव शिव मंदिर पर शिव पुराण कथा के छठे दिवस पर व्यक्त किए । आचार्य त्रिपाठी ने कहा धर्म और मोक्ष को पुरुसार्थ के रास्ते से पाया जाता है जबकि अर्थ और काम को प्रारब्ध से। यदि अर्थ को पुरुसार्थ से पाया जा सकता तो सबसे ज्यादा धन मजदूर वर्ग के पास होना चाहिए था पर इतना श्रम करने के बाद भी उनके जीवन में धन का सहज अभाव देखा जा सकता है।
कॉलोनी निवासी सुनील अग्रवाल ने बताया कि आज का प्रसाद फूलचंद गोयल दादा परिवार की ओर से साबूदाने की खिचड़ी का वितरण किया।