सेंधवा; कथा मनोरंजन के लिए नहीं आत्मरंजन के लिए होती है, शिव महापुराण के चतुर्थ दिन आचार्य आदित्य त्रिपाठी ने कहा।

सेंधवा।
आज कल कथाएं मनोरंजन का साधन बनती जा रही है। कथा मनोरंजन के लिए नहीं आत्मरंजन के लिए होती है। उक्त कथन आचार्य आदित्य त्रिपाठी ने अग्रवाल कॉलोनी में स्तिथ चैतन्य महादेव शिव मंदिर पर आयोजित शिव महापुराण के चतुर्थ दिन व्यक्त किए ।
त्रिपाठी ने कहा कि धार्मिक कथाओं में आजकल कथा का सार नहीं हो रहा हैं जिससे आत्मनिरंजन की कमी आ रही है । आजकल की कथाएं गीत व संगीत में आधी अधूरी कथा का ही वाचन होता है । जिससे कथा का महत्व भी काम हो रहा है ।कई स्थानों पर फुलर्ड गीत संगीत कथा स्थल पर होना भी आपत्ति जनक है । अर्थशिवलिंग दो शब्दों से बना है. शिव व लिंग, जहां शिव का अर्थ है कल्याणकारी और लिंग का अर्थ सृजन. शिवलिंग के दो प्रकार हैं, पहला ज्योतिर्लिंग और दूसरा पारद शिवलिंग. ज्योतिर्लिंग को इस पूरे ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है. ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. कहते हैं कि मन, चित्त, ब्रह्म, माया, जीव, बुद्धि, आसमान, वायु, आग, पानी और पृथ्वी से शिवलिंग का निर्माण हुआ है.भगवान शिव को भक्त शिवशंकर, त्रिलोकेश, कपाली, नटराज समेत कई नामों से पुकराते हैं. भगवान शिव की महिमा अपरंपार है. हिंदू धर्म में भगवान शिव की मूर्ति व शिवलिंग दोनों की पूजा का विधान है. कहते हैं कि जो भी भक्त भगवान शिव की सच्ची श्रद्धा से पूजा-अर्चना करता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. धार्मिक शास्त्रों में शिवलिंग का महत्व बताया गया है. शिवलिंग को इस ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है सभगवान शिव विश्वास के स्वरूप है ओर पार्वती श्रद्धा की स्वरूप है ।

श्रद्धा और विश्वास दोनो के मिलन से ही विवेक रूपी गणेश का जन्म हो सकता है विश्वास के स्वरूप को पाने के लिए पार्वती व गंगा दोनो ने तप किया पर गंगा को शिव नाम के साथ मिले ओर पार्वती को धाम के साथ मिले जब श्रद्धा रूपी पार्वती अचल होकर के तप करती हैं तब कृपा के रूप में महत्मा मिलते है भगवान शंकर पार्वती को प्राप्त करने के लिए भूत प्रेतो को साथ में लेकर बारात के रूप में यात्रा करते है । भूत प्रेतो का को रूप है वह शिव का परिवार है मानो जगत को उपदेश दिया गया की परिवार के लोग चाये जिस स्थिति रहे परिवार ने उन्हें नही छोड़ना चाहिए। बुधवार को शिव पार्वती की शादी का वर्णन किया जाएगा । कथा पश्चात प्रसाद श्याम चोमुवाला, मनीष खले की ओर से वितरित किया गया। कथा के पश्चात द्वारकाप्रसाद तायल, निंबार्क तायल, दिनेश अग्रवाल, कैलाश अग्रवाल गोईवाल, प्रोफेसर एच डी वैष्णव, रेखा गर्ग, अंतिम बाला शर्मा, रणछोड़ पालीवाल, ने शिव पुराण का पूजन कर आचार्य त्रिपाठी का स्वागत किया।