देश में विकास की अवधारणा को बदलने की जरूरत-डॉ. टावरी
दान पर न पले गाय और विकेंद्रीकरण हो ग्राम का विकास

इंदौर। इस वक्त सरकार कहीं अटक सी गई है। हमें उस जामवंत को जगाना होगा, जो हमें अपना बल याद दिलाए। गौशालाओं की दुर्दशाओं पर बात तो सभी करते हैं, पर उनके सुधार गायों के संरक्षण और संवर्धन की विस्तृत योजना कभी नहीं बनी। हमें तय करना होगा कि हमारी गौमाता दान पर न पले और विकास का विकेंद्रीकरण हो, ताकि ग्राम समृद्ध बन सकें।
यह बात पूर्व आईएएस डॉ. कमल टावरी ने कही। देशभर में गमछा और खादी वाले पूर्व आईएएस डॉ. टावरी अब भाई कमलानंद गिरि के नाम से पहचाने जाते हैं। गुरुवार को इंदौर प्रवास के दौरान वे इंदौर प्रेस क्लब के चाय पर चर्चा कार्यक्रम में शामिल हुए। मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि गौशालाओं को लाभ से जोडऩे की आज सर्वाधिक आवश्यकता है। देसी गायों के संरक्षण और संवर्धन के साथ पंचगव्य औषधि की अच्छी मार्केटिंग गौशालाओं को समृद्ध बना सकती है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि वर्तमान दौर में एक अ-सरकारी और असरकारी अभियान की जरूरत है। सरकारों का मुंह ताकने के बजाय पंचगव्य के जरिए गांवों में रोजगार के अवसर पैदा हों। इसका चिंतन करना जरूरी है। इस मौके पर जर्मनी से आई समग्र विकास प्रबंधन विशेषज्ञ इरमल मारला भी विशेष रूप से मौजूद थी।
फ्री की प्रवृत्ति देश को धकेल रही पीछे
डॉ. टावरी ने कहा कि रोजगार मूलक विकास नहीं होने के कारण एक असमंजस का वातावरण बन गया है। सरकार ने भी फ्री की प्रवृत्ति समाज में पैदा कर दी। यह प्रवृत्ति देश को पीछे धकेल रही है। जबकि आवश्यकता ग्राम विकास, स्वावलंबन और रोजगार मूलक विकास की है। जिन सपनों को लेकर आजादी से पहले से अब तक आंदोलन हुए उस अवधारणा को समग्र समाज में फैलाने की आवश्यकता है। संविधान निर्माण तथा बाद में हुए संशोधन के साथ सरकार ने गांवों को 29 विशेष अधिकार प्रदान किए। इन अधिकारों पर ग्राम पंचायतों का ध्यान नहीं है। इन्हीं अधिकारों के माध्यम से गांवों को समृद्धि से जोड़ा जा सकता है।
डॉ. टावरी का परिचय
डॉ. टावरी इंडियन आर्मी का हिस्सा भी रहे हैं। सेना में कैप्टन के पद पर रहते हुए ही वे 1968 में उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस बने। प्रदेश में विभिन्न पदो पर सेवा देने के बाद आप केंद्र में कपार्ट, खादी कमीशन, नॉर्थ ईस्ट के निदेशक, योजना आयोग संभालने के साथ ही भारत सरकार के सचिव पद से सेवानिृत्त हुए।