इंदौरधर्म-ज्योतिष

श्वेतांबर और दिगंबरो ने आचार्य विद्यासागर जी महाराज और गच्छाधिपति दौलत सागर सुरीश्वर महाराज को विनयान्जलि अर्पित की

आचार्य भगवन देश ही नहीं दुनिया के लिए  महावीर की वाणी मानवता का संदेश प्रदान करने वाले ब्रह्मांड रत्न

हाईलिन्क सिटी मे जैन समाज की सामूहिक एक जूटता का नजारा,
 श्वेतांबर और दिगंबरो ने आचार्य विद्यासागर जी महाराज और गच्छाधिपति दौलत सागर सुरीश्वर महाराज को विनयान्जलि अर्पित की
इंदौर। जैन समाज के दो बड़े संत आचार्य ने अपने शरीर का त्याग किया इसलिए जगह-जगह में विनयांजलि ( गुणानुवाद सभा) कार्यक्रम के आयोजन हो रहे हैं इंदौर के पश्चिम क्षेत्र स्थित हाईलिंक सिटी मे श्वेतांबर और दिगंबर जैन समाजजनो अपने दोनों ही आचार्य विद्यासागर जी महाराज और गच्छाधिपति दौलत सागर सुरीश्वर महाराज का स्मरण सामूहिक रूप से कर समाज की एकजुट का परिचय दिया।

हाईलिंक सिटी में विनयांजलि सभा में श्वेतांबर जैन समाज के अध्यक्ष पुंडरीक पालरेचा कहा कि गच्छाधिपती दौलत सागर सुरीश्वर महाराज सा का सानिध्य स्थानीय मंदिर में 7 साल पूर्व मिला था उनके द्वारा दिए गए आगम ग्रंथ की प्रतिलिपि मंदिर में मौजूद है, जैन समाज के सर्वोच्च आगम ग्रंथ की प्रेरणा दौलत सागर जी महाराज सा ने  जन-जन तक पहुंचाई और आगम ग्रंथ के श्लोक को सोने, चांदी ओर पत्थरों पर उकरने का संदेश दिया ताकि आने वाली पीढियां को भगवान महावीर की वाणी पहुंचाई जा सके। इस अवसर पर दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष महेंद्र पहाड़िया, जेके गुप्ता, रवि सेठिया, रुपाली जैन, महावीर जैन कॉलोनी  अध्यक्ष धर्मेंद्र गेदर सहित सैकड़ो जैन व अजैन समाज जनों  ने विनयांजलि अर्पित की। संचालन सचिन जैन ने किया आभार संजय बडजात्या ने माना।
यह स्मरण सुनाएं
सचिन जैन ने कहा कि गुरुवर को भारत रत्न देने की चर्चा हो रही है  वह आज के युग के भगवान थे देश सेवा मे संतों ने अपने जीवन भर की और उन्होंने सारे ब्रह्मांड और मनुष्य मात्र के जीवन के कल्याण का संदेश देते हुए अपना जीवन अर्पित किया वह तो ब्रह्मांड के संत हैं ब्रह्मांड रत्न है।

अनुष्ठानों के ज्ञाता आचार्य विद्यासागर जी महाराज
हाईलिंक सिटी में विनयांजलि कार्यक्रम के दौरान जैन समाज जनों  ने कहा कि आचार्य विद्यासागर जी महाराज विधान और अनुष्ठान कराने में सर्वश्रेष्ठ रहे हैं वह हर अनुष्ठान को बड़ी ही कार्य कुशलता और दिव्यता से अपना मार्गदर्शन हमेशा प्रदान करते रहे हैं उनका स्थान कोई नहीं ले सकता वह अनुष्ठानों के ज्ञाता थे

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