इंदौर । रामकथा वह पतित पावन गंगा है, जिसमें स्नान के बाद हर तरह के पाप, ताप और संताप से मुक्ति मिल सकती है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामायण के रूप में भारतीय समाज और संस्कृति को एक विलक्षण और अलौकिक सौगात दी है। युगों-युगों से देश के जन मानस में सुबह से लेकर शाम तक और शाम से लेकर रात तक यदि कोई स्वर गूंजता है तो वह केवल राम का ही नाम है।
पं. अभिषेकानंद महाराज के जो उन्होंने आज लोहार पट्टी स्थित श्रीजी कल्याण धाम के वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीराम कथा के शुभारंभ सत्र में राम कथा की महत्ता बताते हुए व्यक्त किए। कथा का शुभारंभ दिव्य शोभायात्रा के साथ हुआ। यात्रा में भजनों पर नाचते-गाते श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता था। जगह-जगह यात्रा का स्वागत भी हुआ। यात्रा खाड़ी के मंदिर से प्रारंभ होकर नलिया बाखल, इतवारिया बाजार, लोहार पट्टी होते हुए पुनः कथ स्थल पहुंची, जहां हंसदास मठ के महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सानिध्य में रामकथा का श्रीगणेश हुआ। व्यासपीठ का पूजन पं. पवनदास शर्मा, वर्षा शर्मा एवं राधा रानी महिला मंडल की बहनों ने किया।
पं. अभिषेकानंद महाराज ने कहा कि सत्य का चिंतन और आचरण मनुष्य को सही दिशा में ले जाता है, क्योंकि राम का नाम ही सबसे बड़ा सत्य है। रामकथा में स्नेह, दया और करुणा की वर्षा होती है। यह कथा संस्कारों और संस्कृति का पोषण करती है। राम कथा में व्यक्तित्व और चरित्र को संवारने का अदभुत खजाना भरा पड़ा है। हम जितना गहरा उतरेंगे, उतना अधिक मूल्यवान अलंकार हमें प्राप्त होगा।