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शाकंभरी देवी की तांडव आरती में शामिल हुए हजारों श्रद्धालु

पांच हजार से अधिक भक्तों ने लिया कहीं भी जूठन नहीं छोड़ने का संकल्प-

शाकंभरी देवी की तांडव आरती में शामिल हुए हजारों श्रद्धालु
सुबह से देर रात तक हुए विभिन्न अनुष्ठान

इंदौर, । साग-सब्जी और देश में वनस्पत्ति संपदा की आपूर्ति करने वाली मां शाकंभरी देवी की जयंती गुरुवार शाम बायपास, अग्रवाल पब्लिक स्कूल के आगे स्थित सम्पत पैलेस पर तांडव आरती, कन्या पूजन, मंगल पाठ, चुनरी यात्रा एवं नृत्य नाटिका के साथ धूमधाम से मनाई गई। सुबह पूजन-भजन, अभिषेक के बाद संध्या को फूल बंगले में विराजित मां शाकंभरी की प्रतिकृति के समक्ष जैसे ही आरती प्रारंभ हुई, मालवाचंल के हजारों श्रद्धालु झूम उठे। तांडव आरती के मनोहारी दृश्य भक्तों को भाव विभोर एवं रोमांचित कर देने वाले थे। समूचा परिसर पॉलीथीन मुक्त रहा और भक्तों ने किसी भी भोज के कार्यक्रम में जूठन नहीं छोड़ने का संकल्प भी लिया। । इस बार मालवांचल के 40 से अधिक वैश्य घटकों एवं अन्य समुदायों के एक हजार से अधिक परिवारों की भागीदारी में यह महोत्सव आयोजित किया गया था।
महोत्सव की शुरूआत सुबह स्थापना एवं मंडल पूजन के साथ 11 विद्वानों द्वारा की गई। प्रारंभ में ट्रस्ट की ओर से किशनलाल ऐरन, अनिल खंडेलवाल, गोपाल जिंदल, गोपाल अग्रवाल, नारायण खंडेलवाल, राजेंद्र खंडेलवाल, कल्याणमल खजांची, जयेश अग्रवाल, हरि अग्रवाल सहित अन्य पदाधिकारियों ने सभी भक्तों की अगवानी की। महोत्सव में इस बार भी पं. विश्वजीत एवं दो अन्य पुजारी नंदकिशोर शर्मा एवं प्रमोद शर्मा द्वारा तांडव एवं पंचरत्न आरती का संयुक्त आयोजन किया गया, जो भक्तों को भावविभोर करने वाला साबित हुआ। मां शाकम्भरी के मंगल पाठ की भावपूर्ण प्रस्तुतियों के साथ मां के गुणगान पर आधारित नृत्य नाटिका भी भक्तों को आल्हादित करने वाली रही।
शाम ढलते-ढलते भक्तों का हुजूम बढता गया और 5 हजार से अधिक भक्तों ने पुष्प बंगले में सजे माता के दरबार के दर्शन किए। पुष्प बंगला इतना आकर्षक, मनोहारी, सजीव एवं मनभावन था कि हर कोई देखता ही रह गया। सैकड़ों मोबाईल कैमरों में यह श्रृंगार कैद हुआ। समूचे परिसर को फूलों एवं पत्तियों तथा विद्युत सज्जा से श्रृंगारित किया गया था। सम्पूर्ण उत्सव में कहीं भी डिस्पोजल का प्रयोग नहीं किया गया और परिसर को प्लास्टिक एवं पॉलीथीन से मुक्त रखा गया। भोजन प्रसादी के लिए पत्तल-दोने एवं पेयजल के लिए तांबे के कलश प्रयुक्त किए गए। महत्वपूर्ण बात यह भी रही कि मां शाकम्भरी की साक्षी में हजारों भक्तों ने किसी भी मांगलिक कार्यक्रम में जूठन नहीं छोड़ने का संकल्प भी किया । महोत्सव में 56 भोग, पुष्प बंगला, महाआरती एवं अन्य व्यवस्थाओं में अशोक ऐरन, सीए राजेंद्र खंडेलवाल, जयेश ऐरन, राजेश खंडेलवाल, प्रमोद अग्रवाल, मनीष खजांची, अनिल बिंदल सहित सैकड़ों बंधुओं का उल्लेखनीय सहयोग रहा। आरती में देर रात तक शहर के विशिष्ट अतिथियों के आगमन का क्रम चलता रहा। महोत्सव में लगभग सभी वैश्य एवं ब्राम्हण समाजों के बंधु शामिल हुए।

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