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अपनी कार्यशैली से खुद को हर क्षेत्र में साबित कर रही हैं महिलाएं – कुलपति डॉ. रेणु जैन

सावित्रीबाई फुले की 192वीं जयंती पर शिक्षिकाओं को किया सम्मानित

इंदौर। 18वीं शताब्दी की पहली एवं मात्र 17 वर्ष की उम्र में देश की पहली शिक्षिका बनी सावित्री फुले की 192वीं जयंती अखिल भारतीय कुशवाह महासभा, नई दिल्ली की इंदौर इकाई द्वारा आज आक्सफोर्ड इंटरनेशनल कॉलेज में कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें 40 शिक्षिकाओं और महिलाकर्मियों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में विधायक महेन्द्र हार्डिया, दे.अ.वि.वि. की कुलपति डॉ. रेणु जैन, लोक सेवा आयोग की पूर्व सदस्य सुश्री शोभा पेठनकर, समाजसेवी श्रीमती तरुणा मधु वर्मा, समाजसेवी श्रीमती कल्पना वीरेंद्र भंडारी शामिल थे।
अखिल भारतीय कुशवाह महासभा, नई दिल्ली की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं कार्यक्रम की आयोजक श्रीमती अलका सैनी ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि सावित्रीबाई फुले जी देश की पहली शिक्षिका होने के साथ-साथ, नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 1 जनवरी 1848 में पहला कन्या विद्यालय की शुरुआत की थी। वे नारी मुक्ति आंदोलन की प्रणेता होने के साथ ही महान समाज सुधारक और कवियित्री भी थी। उन्होंने अस्पृश्यता, सती प्रथा, बाल विवाह, पर्दा प्रथा, रूढि़वादिता को दूर करने के लिए एवं महिलाओं के अधिकारों और उनके सम्मान के लिए पितृ सत्तात्मक समाज से लड़ाई की। उन्होंने समाज का विरोध और प्रताडऩा सहन की। शब्दों से कीचड़ की बौछार के साथ गंदगी का कचरा भी उन पर फेंका जाता रहा, लेकिन वे नारी शिक्षा और उनके सम्मान के लिए हमेशा लड़ती रहीं। महिला की शिक्षा की ज्योत जलाने वाली सावित्रबाई फुले की जयंती पूरे देश के साथ इंदौर में भी मनाई गई।
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. रेणु जैन ने कहा कि अपनी कार्यशैली से महिलाएं धरती से लेकर चांद तक अपनी योग्यता के बल पर खुद को साबित कर रही हैं। इसमें शिक्षा, , स्वास्थ्य, राजनीति, व्यापार, वैज्ञानिक शोध यहां तक कि अंतरिक्ष कार्यक्रमों में भी इनका महत्वपूर्ण योगदान है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक महेन्द्र हार्डिया ने इस मौके पर कहा कि 18वीं सदी में महिलाओं की जो स्थिति थी, आज उसमें जो सुधार आया है, उसका पूरा श्रेय सावित्रीबाई फुले को ही जाता है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं।
लोक सेवा आयोग की पूर्व सदस्य शोभा पेठनकर ने विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि सावित्रीबाई फुले के जीवन संघर्ष को आज के समय की महिलाओं को आत्मसात करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सावित्रीबाी फुले ने शिक्षा को अपना हथियार बनाकर समाज में चेतना का संचार किया। उन्होंने नारी शिक्षा, सती प्रथा, बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ शिक्षा के माध्यम से समाज को सुधारने का बीड़ा उठाया था।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों द्वारा सावित्रीबाई फुले और महात्मा ज्योतिबा फुले के चित्रों पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवलित किया गया। अतिथियों का स्वागत कॉलेज के डायरेक्टर अक्षांश तिवारी द्वारा किया गया। संचालन कालेज के प्राचार्य प्रो. विशाल पुरोहित ने किया और आभार सीमा तिवारी ने माना। कार्यक्रम में संयुक्त माली समाज के अध्यक्ष भगवती माली, मेवाड़ा माली समाज के अध्यक्ष संजय जालिया, कुशवाह महासभा के अध्यक्ष त्रिलोक कुशवाह, मनोज कुशवाह, हरिशंकर कुशवाह, मराठी माली समाज के शिवाजी शिंदे, गीता कुशवाह, दीक्षा कुशवाह, ज्योत्सना माली, वर्षा माली, देवकरण, मोहन मेवाड़ा, सुभाष गौर सहित समाज संगठन के कई गणमान्य लोग शामिल थे।

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