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भक्ति अडिग और अखंड होगी तो भक्त के लिए भगवान को रक्षा के लिए आना ही पड़ेगा

इंदौर। भगवान का अवतरण भक्तों की रक्षा और दुष्टों के नाश के लिए हुआ है। उनकी लीलाओं में प्राणीमात्र के प्रति सदभाव और कल्याण का चिंतन होता है। संसार की दृष्टि से भगवान की लीलाओं का चाहे जो अर्थ-अनर्थ निकाला जाए, यह शाश्वत सत्य है कि यदि हमारी भक्ति अडिग और अखंड रहेगी तो भगवान को रक्षा के लिए आना ही पड़ेगा। भक्ति निष्काम और निर्दोष होना चाहिए। भक्ति मनुष्य को निर्भयता प्रदान करती है।
लोहारपट्टी स्थित श्रीजी कल्याण धाम, खाड़ी के मंदिर पर उक्त दिव्य विचार भागवताचार्य पं. योगेश्वरदास ने राधा रानी महिला मंडल के सहयोग से चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ में भगवान की बाल लीलाओं एवं गोवर्धन पूजा उत्सव सहित विभिन्न प्रसंगों के दौरान व्यक्त किए।

कथा में भगवान की बाल लीलाओं एवं गोवर्धन पूजा के उत्सव धूमधाम से मनाए गए। कथा स्थल को फूलों, गुब्बारों एवं माखन की मटकियों से श्रृंगारित किया गया था। हंस पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सानिध्य में आयोजित इस ज्ञान यज्ञ में कथा शुभारंभ के पूर्व श्रीमती वर्षा शर्मा, उर्मिला प्रपन्न, मंजू शर्मा, ज्योति शर्मा प्रफुल्ला शर्मा, हंसा पंचोली, कामाख्या, हेमलता वैष्णव, मधु गुप्ता आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। संयोजक पं. पवन शर्मा ने बताया कि भागवत ज्ञान यज्ञ में बीजेपी विधान सभा एक विधायक एवम राष्ट्रीय महासचिव श्री कैलाश विजयवर्गीय, श्री राधे राधे बाबा भी उपस्थित हुए।मंदिर का वार्षिक अन्नकूट महोत्सव 31 दिसम्बर रविवार को आयोजित होगा।
भागवताचार्य योगेश्वरदास ने कहा कि भगवान की भक्ति कभी निष्फल नहीं होती। कृष्ण की बाल लीलाएं पूतना वध से शुरू होकर कंस वध तक जारी रही और सब में भक्तों के कल्याण का ही भाव है। बृज की भूमि आज भी भगवान की लीलाओं की साक्षी है जहां हजारों वर्ष बाद भी गोपीगीत, महारास और कालियादेह नाग के मर्दन के जीवंत उदाहरण मौजूद है। हमारी संस्कृति में कुछ भी कपोल-कल्पित नहीं है। जितने प्रसंग हमारे धर्मशास्त्रों में बताए गए है, उन सबके प्रमाण आज भी देखे जा सकते हैं। यह भारत भूमि का ही चमत्कार है कि यहां सबसे ज्यादा देवी – देवता अवतार लेते है। भक्तों की भी यही भूमि है और लीलाओं का अलौकिक मंचन भी भारत की पुण्यधरा पर ही होता है।

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