गीता पुरुषार्थ का ग्रंथ, पलायन का नहीं – शंकराचार्य
गीता भवन में चल रहे अ.भा. गीता जयंती महोत्सव में हजारों श्रद्धालुओं ने ली मूक पक्षियों की सेवा करने की शपथ
गीता भवन में चल रहे अ.भा. गीता जयंती महोत्सव में हजारों श्रद्धालुओं ने ली मूक पक्षियों की सेवा करने की शपथ
इंदौर, । गीता के संदेश हमें मार्गदर्शन करते हैं कि समाज और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन हम कब, क्यों और कैसे करें… गीता के संदेश हमें कर्म योगी बनाने की ओर प्रवृत्त करते हैं। गीता उस अनमोल खजाने की तरह है, जिसमें जीवन को सदगुणों से अलंकृत करने के अनेक अलमोल रत्न भरे पड़े हैं। कर्तव्य के बोध और जीवन को सकारात्मक ढंग से जीने का संदेश गीता के श्लोकों में मौजूद हैं। गीता पुरुषार्थ की पक्षधर है, पलायन की नहीं। सृष्टि में सब कुछ परमात्मा की कृपा से ही संभव है। जीव, जगत और जगदीश्वर- तीनों ही रूपों में भगवान का अस्तित्व मौजूद है।
जगदगुरू शंकराचार्य, पुरी पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने आज शाम गीता भवन में चल रहे 66वें अ.भा. गीता जयंती महोत्सव की महती धर्मसभा में उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। ट्रस्ट मंडल की ओर से वैदिक मंगलाचरण के बीच अध्यक्ष राम ऐरन, मंत्री रामविलास राठी, कोषाध्यक्ष मनोहर बाहेती, संरक्षक ट्रस्टी गोपालदास मित्तल, न्यासी मंडल के दिनेश मित्तल, टीकमचंद गर्ग, महेशचंद्र शास्त्री, प्रेमचंद गोयल, पवन सिंघानिया, हरीश माहेश्वरी, संजीव कोहली, राजेश गर्ग केटी आदि ने शंकराचार्यजी एवं अन्य संतों का स्वागत किया। उदबोधन के बाद शंकराचार्यजी को गीता भवन परिवार की ओर से न्यासी मंडल ने शाल-श्रीफल भेंटकर विदाई दी। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालुओ ने प्रत्येक ग्रीष्मकाल में अपने घर-आंगन एवं छत पर मूक पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करने की शपथ ली। इसके साथ ही सभी भक्तों ने अपनी क्षमता के अनुरूप पशु हत्या, बलि प्रथा एवं अन्य कुरीतियों का प्रतिकार करने का भी संकल्प व्यक्त किया। इसके पूर्व दोपहर में सत्संग सत्र का शुभारंभ डाकोर के स्वामी देवकीनंदन दास के प्रवचनों से हुआ। वृंदावन के प.पू. केशवाचार्य महाराज, आगरा से आए स्वामी हरियोगी, भदौही से आए पं. पीयूष मिश्र रामायणी, उज्जैन से आए स्वामी असंगानंद, वाराणसी से आए पं. रामेश्वर त्रिपाठी, चिरंजीव रामनारायण महाराज एवं उज्जैन से आए स्वामी वीतरागानंद ने भी गीता, भागवत एवं अन्य ज्वलंत विषयों पर अपने प्रेरक एवं ओजस्वी विचार व्यक्त किए। जगदगुरू शंकराचार्य के प्रवचन श्रवण के लिए आज भी गीता भवन परिसर भक्तों से खचाखच भरा रहा।