संविधान में हैं 22 भाषाएँ, अधिक से अधिक भाषाएँ सीखें युवा
-भाषा उत्सव के अंतर्गत आयोजित परिचर्चा में कॅरियर काउंसलर डॉ. चौबे ने कहा।

बड़वानी।
भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है। भाषा निपुण व्यक्ति जीवन में हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं। हमारे संविधान में 22 भाषाओं का भारतीय भाषाओं के रूप में उल्लेख हैं। युवाओं को हिन्दी भाषा पर अच्छी पकड़ स्थापित करने के साथ-साथ अन्य भाषाओं को भी सीखना चाहिए। ये बातें शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा भाषा उत्सव के अंतर्गत आयोजित परिचर्चा में कॅरियर काउंसलर डॉ. मधुसूदन चौबे ने विद्यार्थियों से कहीं। यह आयोजन प्राचार्य डॉ. दिनेष वर्मा के मार्गदर्षन में हो रहा है। प्राचार्य डॉ. वर्मा ने बताया कि प्रसिद्ध तमिल कवि और स्वतंत्रता सेनानी सुब्रमण्यम स्वामी जी के जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में भारत में 25 सितम्बर से 11 दिसम्बर तक भाषा उत्सव मनाया जा रहा है। इसके अंतर्गत युवाओं में भारतीय भाषाओं को सीखने के लिए उत्साह उत्पन्न करने हेतु कॅरियर सेल के माध्यम से रचनात्मक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।
कार्यकर्तागण प्रीति गुलवानिया ने बताया कि भाषा उत्सव के अंतर्गत ‘मेरी मातृ भाषा में मेरे हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है। इसके साथ ही वाद-विवाद, परिचर्चा, निबंध लेखन तथा शुद्ध लेखन पर आधारित आयोजन किये जा रहे हैं।
संविधान में हैं 22 भाषाएं
डॉ. चौबे ने बताया कि भारत में अनेक उपबोलियां, बोलियां, विभाषाएं और भाषाएं प्रचलित हैं। अनेक भाषाओं का उद्भव और विकास भारत में हुआ है। बहुभाषीदेष होना गौरव की बात है तथा सभ्यता के विकास का प्रतीक है। संविधान में आठवीं अनुसूची में प्रारंभ में चौदह भाषाएं भारतीय भाषाओं के रूप में सम्मिलित थीं। अब भारतीय भाषाओं की संख्या बढ़कर 22 हो गई हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं- असमिया, उडिया, उर्दू, कन्नड, कष्मीरी, कोंकणी, गुजराती, डोगरी, तमिल, तेलगू, नेपाली, पंजाबी, बांग्ला, बोडो, मणिपुरी, मराठी, मलयालम, मैथिली, संथाली, संस्कृत, सिंधी एवं हिन्दी। आयोजन में सहयोग भियारी गुर्जर और अक्षय चौहान ने दिया।