दिग्विजय ने ईओडब्ल्यू को लिखा पत्र, वित्त मंत्री देवड़ा ACS केसरी-पाटिल पर 250 करोड़ का घोटाले का आरोप

भोपाल।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को पत्र लिख कर वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा, अतिरिक्त मुख्य सचिव अजीत केसरी और ज्ञानेश्वर पाटिल पर ढाई सौ करोड़ रुपये घोटाले का आरोप लगाया हैं। दिग्विजय सिंह ने पत्र के साथ दस्तावेज एवं बातचीत के ऑडियो भी भेजे है। दिग्विजयसिंह ने मांग की कि इनके आधार पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर घोटाले में शामिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों और कंपनी के खिलाफ कार्यवाही की जाए। शिकायत के अनुसार राज्य मंत्रालय में लागू आईएफएमएस सिस्टम का काम एक चहेती फर्म को देने के लिए वित्त विभाग के अधिकारियों ने वित्त मंत्री को विश्वास में लेकर यह ढाई सौ करोड़ रुपये के घोटाले को विधानसभा चुनाव घोषित होने के कुछ दिन पूर्व अंजाम दिया।
टेंडर में मनमानी शर्तें लगाने का आरोप
सिंह ने कहा है कि मुझे प्राप्त शिकायत के अनुसार आईएफएमएस सिस्टम के काम के लिये पहले तो मनमानी शर्ते डालते हुए टीसीएस जैसी टाटा की विश्व प्रसिद्ध कंपनी को प्रक्रिया से बाहर किया। फिर टेरा सीआईएस टेक्नालॉजीस लिमिटेड, गुडगांव को टेंडर देने के लिये कार्यवाही शुरु कर दी। इस मामले में वित्त मंत्री जगदीश देवडा के साथ-साथ अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अजीत केशरी की भूमिका संदिग्ध रही है। शिकायत में आरोप है कि एक अन्य आईएएस अधिकारी ज्ञानेश्वर पाटिल ने भी आरोपित कंपनी के प्रतिनिधियों से मिलीभगत कर घोटाले में शामिल रहे। पहले यह टेंडर 200 करोड़ रुपये का था, जिसे एजेंसी तय होने के दौरान बढ़ाकर 247 करोड़ रुपये कर दिया गया।
पचास करोड़ रुपये का लेन-देन
इस पूरे टेंडर घोटाले में करीब पचास करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है। रिश्वत की रकम विभिन्न माध्यमों से संबंधित अधिकारियों और मंत्री को दी गई है। एसीएस वित्त अजीत केशरी, श्री ज्ञानेश्वर पाटिल, आयुक्त कोष एवं लेखा और टेरा टेक्नॉलाजी लिमिटेड गुडगांव से काम लेने वाले आंध्र प्रदेश की कंपनी पिक्सल वाईड सॉल्यूशन के डायरेक्टर प्रित्युश जी. रेड्डी के लिए काम करने वाले ग्वालियर निवासी देवेश अग्रवाल के बीच विभिन्न अवसरों पर वाट्सऐप पर हुई चेटिंग पत्र के साथ संलग्न है।
आचार संहिता के पूर्व गुडगांव की कंपनी को वर्क ऑर्डर
आरोप है कि करीब पचास करोड़ रुपये का लेन देन करने के बाद वित्त विभाग के अधिकारियों ने आचार संहिता लगने के कुछ दिन पूर्व गुडगांव की कंपनी को वर्क ऑर्डर दिया गया। जो बाद में हैदराबाद की कंपनी को सबलेट किया गया। वित्त विभाग के अधिकारियों ने इस टेंडर प्रक्रिया की शर्तों को इस कंपनी के अनुकूल बनाया था, ताकि अन्य कंपनी भाग ही न ले सके। विधानसभा चुनाव के साल में और चुनाव घोषित हाने के कुछ दिन पूर्व घटित इस हाई प्रोफाईल घोटाले में आर्थिक अनियमितता, भ्रष्टाचार का प्रकरण दर्ज कर समस्त संबंधित दस्तावेज जब्त किये जाना चाहिये और आरोपी अधिकारियों और कंपनी के प्रतिनिधियों और दलालों के बीच हुई बातचीत का रिकार्ड मोबाईल कंपनियों से लिया जाकर कार्यवाही की जाए।